भावभावक भाव!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावभावक भाव – Bhavabhavaka Bhava. A relation between soul & result oriented Karmas. संबंध; आत्मा एवं फल देने की सामर्थ्य से युक्त कर्म एवं आत्मा, दोनों में भाव-भावक भाव है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावभावक भाव – Bhavabhavaka Bhava. A relation between soul & result oriented Karmas. संबंध; आत्मा एवं फल देने की सामर्थ्य से युक्त कर्म एवं आत्मा, दोनों में भाव-भावक भाव है “
आरम्भकथा Talks about worldly activities. विकथा के 25 भेदों में एक असि. मषि आदि कार्य संबंधी कथा करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उपसंयत Controlled behaviour . गुरुकुल में मैं आपका हूँ ऐसा कहकर उच्चारण करना (समर्पण भाव से साधु के समान संयत होकर रहना)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्वीपार्धचक्रवाल Name of Manushottar mountain. मानुषोत्तर पर्वत।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
फल Fruits, Results of Karmas. खाने योग्य फल, कर्म आदि के परिणाम। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भागहार – Bhagahara. Divisor (the number by which another is divided ). जिस संख्या का भाग दिया जाये वह संख्या भागहार, हार, भाजक इत्यादि कहलाती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैनयिक –Vainayika. A part of Shrutgvan (scriptural knowledge).Containing description of politeness. अंगबाह्य श्रुतज्ञान का पांचवा अंग, इसमे ५ प्रकार के विनयों का कथन हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्मोह – Nirmoha. Attachmentless, a characteristic of a saint. साधु का एक लक्षण; मोह से रहित होना “
आहारक लव्धि Extra – ordinary power of translocation (related to soul). एक ऋद्धि प्रमत्त गुणस्थानवर्ती मुनि को आहारक शरीर बनाने की शक्ति का प्रकट होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]