वैस्रसिक परिणाम!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैस्रसिक परिणाम –Vaisrasika Parinama. Natural changes. स्वाभविक परिवर्तन, जिसमें पुरुष प्रयत्न की आवश्यकता नहीं होती “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैस्रसिक परिणाम –Vaisrasika Parinama. Natural changes. स्वाभविक परिवर्तन, जिसमें पुरुष प्रयत्न की आवश्यकता नहीं होती “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाहुतप – Bahutapa. See – PrasaritaBahu Tapa. देखें – प्रसारीत बाहु तप “
एसोदसव्रत A type of fasting with specified procedure. क्रम से 1 से लेकर 11उपवास करना फिर एक हानि क्रम से 10 से लेकर 1 उपवास तक करना, बीच में 1-2 पारणा करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पण्य भवन :Palace of Somdev situated in the east of Nandon etc. forests of Sumeru (mountain). सुमेरू पर्वत के नन्दनादि वनों के पूर्व में स्थित सोमदेव का भवन।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृत्तिपरिसंख्यान –Vrtti. Conduct, Behaviour, Natural tendency. बाह्य तप का एक भेद – आहार को जाते समय अनेक प्रकार की प्रतिज्ञा या आकड़ी लेना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशलेषण – Vishleshna. Analyssis, Disintegration. व्याख्यान या विवेचन करना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर – Svara. Voice, tone, tune, musical notes. शब्द। अष्टांग निमित्तज्ञान का एक भेद, यह दो प्रकार का होता है- दुःस्वर और सुस्वर। इनसे इष्ट और अनिष्ट पदार्थ के प्राप्त होने का संकेत प्राप्त होता है। संगीत कला से सम्बन्धित मध्यम, ऋषभ, गांधर, षड्ज, पंचम, धैवत और निषात 7 स्वर । ये आरोही और…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पक्षपाती श्रोता: Listeners who criticizes or gives wrong favour to one. विपरीत व दृष्टबुद्वि के धारक श्रोता जो विपरीत तत्वों में दुराग्रह करते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विराधना – Viradhana. Pain, Affiction, Unreverential,Dishonourable. जो परिणाम राध अर्थात् आराधना रहित, है, वह विराधना है ” एकेन्द्रिय आदि जीवों को मारना या कष्ट पहूँचना जीव विराधना या आसदना कहा जाता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संतलाल – Santalaala. Name of a Jain poet, the writer of ‘Siddhachakra Vidhaan’. सिद्धचक्र विधान के कर्ता एक जैन कवि ” समय-ई.श. 17-18 “