संज्ञी!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संज्ञी – Sangyee. Beings with consciousness. पंचेन्द्रिय सैनी अर्थात् मन सहित पंचेन्द्रिय जीव; जो शिक्षा उपदेश आदि ग्रहण करते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संज्ञी – Sangyee. Beings with consciousness. पंचेन्द्रिय सैनी अर्थात् मन सहित पंचेन्द्रिय जीव; जो शिक्षा उपदेश आदि ग्रहण करते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति – Sthiti. Situation, circumstances karmic state (reg. duration of karmas).ठहरना, कर्मों के अवस्थान काल का नाम स्थिति है।
चयधन Sum of common differences. सर्व स्थानों में जो-जो चय बढ़े उन सब चयों का जोड़ जो प्रमाण हो ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थान लाभ क्रिया – Sthana laabha Kriyaa. An auspicious procedural activity of initiation of one as a shravak.दीक्षान्वय की 48 क्रियाओ मे तीसरी क्रिया है। इसमे किसी पवित्र स्थान मे अष्टदल कमल अथवा समवषरण की रचना करके उपवासी को प्रतिमा के सम्मुख बैठाकर आचार्य उसके मस्तक का स्पर्श करता है और पंच नमस्कार मंत्र…
चतुर्दिक मुखदर्शन Four sided face-a supernatural bliss of Lord Arihant. अर्हंत भगवान का केवलज्ञान का एक अतिशय ; सबकी ओर मुख करके स्थित होना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तव उद्योतन – Samyaktva Udyotana. Right enlightenment. सम्यक्तवाराधना। शंकादि दोषो से रहित निर्दोष सम्यग्दर्षन की प्राप्ति होना।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भव्यज्ञायक शरीर – Bhavyagnayaka Sarira. One who is going to be learned one in future. नो आगम द्रव्य का एक भेद; जो कर्म के स्वरूप को कहने वाले शास्त्र का जानने वाला आगे होगा वह भव्यज्ञायक शरीर कहलाता हैं “
चिरकाल स्थायी Steady for infinite time. अनंतकाल तक स्थाई रहने वाली जैसे , स्वभाव द्रव्य व्यंजन पर्याय ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्मान – Sammaana. Respect, reverence, honour. आदर, विनय। व्रतादि से यंुक्त साधु, आर्यिका एवं बड़े जनेा का यथायोग्य विनय-सम्मान करना।