रसायिक!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसायिक – रस आसव आदि में उत्पन्न होने वाले जीव। Rasayika-Micro beings taking birth in impure liquids
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसायिक – रस आसव आदि में उत्पन्न होने वाले जीव। Rasayika-Micro beings taking birth in impure liquids
उदराग्नि Fire of hunger, an affiliction to be beared by Jaina saints. क्षुधा की बाधा क्रोध काम उदर इन तीन अग्नियों में तीसरी अग्नि इसमें मुनिजन अनशन की आहुति देकर आत्मयज्ञ करते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लहू – रक्त, साधु के आहार सम्बन्धी 32 अंतराय में एक अंतराय अपने व दूसरे के लहू – रूधिर निकलता देखकर भोजन छोड देना। Lahu-Blood, an obstacle (bleeding) in the food taking of saints
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय उपगूहन – Nishchaya Upgoohana. Absolutely free from all passion. मुनि अवस्था में सिद्धों की अर्थात् शुद्धात्मा की भक्ति से युक्त होना और रागादी भावों से युक्त नहीं होना अर्थात् अपने निरंजन-निर्दोष आत्मा को दूषित करने वाले मिथ्यात्व रागादि विभावधर्मों का विनाश करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोद्रव्यवर्गणा – Manodravyavarganaa. A type of aggregate of Karmic molecules related to forming mental faculty. 23 वर्गणाओं में एक वर्गणा ;एक जाति के पुद्गल के सूक्षम स्कंध जिनसे द्रव्य मन बनता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शशि – Shashi. The Moon, A king of Ikshvaku dynesty. चंद्रमा, इक्ष्वाकुवंशी एक राजा जो रवितेज का पुत्र था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निवृत्त्यपर्याप्त – Nirvrttyapaparyaapta. Period of completion of eligible state (i.e. 6 Paryaptis) for body making in (Antarmuhurta). पर्याप्ति नामकर्म के उदय से युक्त जीव के जब तक शरीर पर्याप्ति पूर्ण न हो उतने काल तक उसे निर्वृति अपर्याप्त कहते है (अर्थात्एक समय कम शरीर-पर्याप्ति सम्बन्धी अन्तर्मुहूर्त पर्यत्न काल)” इस अवस्था को सर्वज्ञ ही जानते…