प्रशंसा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशंसा- गुणों को प्रकट करने का भाव प्रषंसा है। Prasansa- Commendation, Admiration
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशंसा- गुणों को प्रकट करने का भाव प्रषंसा है। Prasansa- Commendation, Admiration
चमर Flywhisk, See – Ca´vara. देखें-चंवर . इस नाम का इंद्रा जो तीर्थंकर के जन्मोत्सव में चमर ढोरता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चन्द्रप्रज्ञप्ति A type of scriptural knowledge (Shrutgyan), A Shvetambar book and also the name of a book written by Acharya Amitgati. अंगश्रुत ज्ञान का एक भेद; इसमें की आयु , परिवार , ऋद्धि आदि का लाख ५००० पदों में वर्णन झाई , एक श्र्वेताम्बर ग्रन्थ एवं आचार्य अमितगति द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्याख्यानावरण कशाय- pratyakhyanavarana kasaya Passions obscuring or causing destruction of complete right conduct. जो कशाय सकल चारित्र का घात करे, इसके क्रोध आदि भेद है।
चन्द्रचूल A chief disciple of Lord Rishabhdeva. भगवान ऋषभदेव के ८४ गणधरों में एक गणधर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गृहकूटक Name of a dominion (Varsha Ritu Nivas) of Chakravarti (emperor). चक्रवर्ती की एक विभूति ‘वर्षा ऋतु निवास’ का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथातथानुपूर्वी–Yathatathanupurvi. See – Yatrattranupurvi. देखें –यत्रतत्रानुपूर्वी”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्तर – Sanstara. Bed, Dry grass bed. शय्या ” दिगम्बर जैन साधुओं का संस्तर तृण, चटाई आदि का होता है “
गुणभूषण Name of a poet, the writer of ‘Shravkachar’. कवि;भाव्यजन चित्तवल्लभ , श्रावकाचार आदि के कर्ता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सत्संग : == धुनोति दवयुं स्वान्तात्तनोत्यानंदथुं परम्। धिनोति च मनोवृत्तिमहो साधु—समागम:।। —आदिपुराण : ९-१६० साधु पुरुष का समागम मन से संताप को दूर करता है, आनन्द की वृद्धि करता है और चित्तवृत्ति को संतोष देता है।