विदिशा!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदिशा – Vidisha. Subdirections, quarter parts of the four direc- tions. चारों दिशाओं के अतिरिक्त प्रत्येक दो दिशाओं के मध्य स्थित दिशाएँ – ईशान, आग्रेय, नैऋत्य, वायव्य, ये ४ विदिशाएं कहलाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदिशा – Vidisha. Subdirections, quarter parts of the four direc- tions. चारों दिशाओं के अतिरिक्त प्रत्येक दो दिशाओं के मध्य स्थित दिशाएँ – ईशान, आग्रेय, नैऋत्य, वायव्य, ये ४ विदिशाएं कहलाती हैं “
चारित्राचार Observance of right conduct. ५ महाव्रत , ५समिति , ३ गुप्ति रूप सम्यक् चारित्र का पालन करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पूर्वापर विरोध – Purvapara Virodha. State of mutual contradiction. पूर्व और उत्तर समय अर्थात् परस्पर में विरोध होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रृंगारमंजरी – Shringaaramanjaree. Name of a poetic composition composed by Ajitsen. छंद अलंकार विषयक अजितसेन कृत एक संस्कृत भाषाबद्ध रचना ” समय ई. 1250-60 “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरा मुक्ति Salvation after one or two births.एक दो आदि भवों के अनंतर मुक्ति होना ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभ्य – Vibhya. An infraction of paying reverence (reverence due to influence of Acharya etc.). वंदना का एक अतिचार, आचार्य आदि के भय से वंदना करना “
चारित्र Conduct, Character, Virtue. देशव्रत या महाव्रतरूप आचरण व्यवहार क्गारित्र एवं आत्मस्वभाव में रमण करना निश्र्चय चारित्र है ।।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समुच्छिन्न क्रिया निवृत्ति – Samuchchhinna Kriyaa Nivritti. Absolute meditation, devoid of all activities or vibrations of soul points. चतुर्थ शुक्लध्यान। इसमे आत्म-प्रदेशों के परिस्पन्दन रुप योगो का तथा काय बल आदि प्राणों का समुच्छिन्न (उच्छेद) हो जाता है। इस ध्यान मे किसी प्रकार का आस्त्रव नही होता। यह अन्तर्मुहर्त समय के लिए होता है।…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मोक्ष—मार्ग : == दर्शनज्ञानचारित्राणि, मोक्षमार्ग इति सेवितव्यानि। साधुभिरिदं भणितं, तैस्तु बन्धो वा मोक्षो वा।। —समणसुत्त : १९३ जिनेन्द्र देव ने कहा है कि (सम्यक्) दर्शन, ज्ञान, चारित्र मोक्ष का मार्ग है। साधुओं को इनका आचरण करना चाहिए। यदि वे स्वाश्रित होते हैं तो इनसे मोक्ष होता है और…
चान्द्रीचर्या Procedure of food taking of a Jain saints without any partiality in devotees. मुनि की आहारचर्या ;चन्द्रमा की चांदनी के समान मुनि आहार के लिए धनिक -निर्धन सभी के घर जाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]