चैत्यचैत्यालय!
चैत्यचैत्यालय A Jain temple, where idols of Jaina Lord are consecrated for worshipping. जिन प्रतिमा व उसका स्थान अर्थात् मन दिर ‘चैत्य’ व ‘चैत्यालय’ कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चैत्यचैत्यालय A Jain temple, where idols of Jaina Lord are consecrated for worshipping. जिन प्रतिमा व उसका स्थान अर्थात् मन दिर ‘चैत्य’ व ‘चैत्यालय’ कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वज्ञत्व – Sarvagyatva. State of omniscience. त्रिकालवर्ती गुण पर्यायों से संयुक्त समस्त लोक और अलोक को प्रत्यक्ष जानना।
दानांतराय A type of obstacle related to donation. अंतराय के पाँच भेदों में से एक जिसके उदय से मनुष्य दान देने की इच्छा करता हुआ भी नहीं दे पाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चित्रांगदा Name of the chief disciple of Arjun. अर्जुन का प्रधान शिष्य।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सराग सम्यग्दृष्टि – Saraaga Samyagdrshti. One having right perception with auspicious attachments. शुद्वात्म भावना से च्युत होकर शुभराग के योग से सहित सराग सम्यग्दृष्टि होते है। इसे व्यवहार सम्यक्तव कहते है।
दश वैकालिक A type of scriptural knowledge (shrutgyan). अंगबाह्य श्रुत का 7 वां प्रकीर्णकः इसमें मुनियों की गोचरी आदि वृतियों का वर्णन किया गया है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चारित्रसार A book written by Chamundaray. चामुण्डराय (ई.श. १०-११) द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सयलविहिविहाण – Sayalavihivihaana. Name of book in Apabransh language written by Naynandi. नयनंदि द्वारा (ई. 1043) कृत अप्रभंष भाषाबद्व श्रावकाचार।
दर्शनाचार Observance of right perception. 5 प्रकार के आचार का एक भेद अतिचार रहित सम्यग्दर्शन का पालन करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चारित्रभक्ति A composition written by Kundkund-Pujyapad Acharya. श्री कुंदकुंद एवं पूज्यादि आचार्य कृत संस्कृत -प्राकृत की १० भक्तियों में एक भक्ति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]