तारणपंथी!
तारणपंथी Non-idolator sect of Digambara Jain tradition. दिगम्बर जैनों में मूर्ति पूजा को न मानने वाला एक नया पंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तारणपंथी Non-idolator sect of Digambara Jain tradition. दिगम्बर जैनों में मूर्ति पूजा को न मानने वाला एक नया पंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
गुप्तिसागर(उपाध्याय) Name of the disciple of Acharya Shri Vidyasagar Maharaj, who got Upadhyay rank from Acharya Shri Vidyanand Maharaj. आचार्यश्री विद्यासागर महाराज से दीक्षित एक मुनि (ई.श. २०-२१), इन्होने आचार्यश्री विद्यानंद महाराज से उपाध्याय पद प्राप्त किया ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मक्सी पार्श्वनाथ (तीर्थ) – Makshi Parshvanatha (Tirtha).: Name of a Jaina place of pilgrimage, an Atishay Kshetra of Lord Parshvanath in M.P. मध्य प्रदेश में सेंट्रल रेलवे की भोपाल – उज्जैन शाखा पर अवस्थित एक अतिशय क्षेत्र ” यह क्षेत्र भगवान्पार्श्वनाथ की प्रतिमा के अतिशयों के कारण अतिशय क्षेत्र कहलाता हैं “
तात्पर्यवृत्ति Name of commetary books; written by Acharya Abhaynandi & Acharya Jaisen separately. आचार्य अभयनन्दि (ई. 930-950) द्वारा रचित तत्वार्थ सूत्र की टीका का नाम , आर्चार्य जयसेन (ई.श. 11-12) वृत्त समयसार , प्रवचनसार , व पंचास्तिकाय की टीकाएँ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
ग्रीवोर्ध्वनयन An infraction in the posture of meditation, raising head upward. कायोत्सर्ग का एक अतिचार ; ग्रीवा को ऊपर उठाना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सप्तच्छद – Saptacchada. Name of the initiation & omniscience tree of Lord Ajitnath & Dharmanath. 7 पत्रों के स्तंबको से युक्त एक वृक्ष, सप्तपर्ण का अपरनाम। तीर्थकर अजितनाथ एवं धर्मनाथ ने इसी वृक्ष के नीचे दीक्षा ली थी और केवलज्ञान प्राप्त किया था।
तप्त ऋद्धि Heated, hot. जिस ऋद्धि से खाया हुआ अन्न धातुओं सहित क्षीण हो जाता है अर्थात् मल- मूत्रादि रूप परिणमन नहीं होता ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्धात्मानुभूति – Shuddhaatmaanubhooti. The supreme experience or intuition. विशुद्ध आत्मा का ज्ञान अर्थात आत्मज्ञान ” देखें – शुद्धात्मज्ञान “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सन्निकर्ष – Sannikarsha. Drawing near, close together, another name of Dvadshnag Shrutgyan (12 parts of scriptural knowledge). इन्द्रिय का विषय से संबंध, समीप लाना-सामीप्य, प्रवचन सन्निकर्ष, श्रुतज्ञान का अपरनाम। जिसमे वचन सन्निकृष्ट होते है, वह प्रवचन सन्निकर्ष रुप मे प्रसिद्व द्वादशांग श्रुतज्ञान है। जद्यन्य व उत्कृष्ट भेद रुप द्रव्य, क्षेत्र, काल एवं भावांे मे…