संचार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संचार – Sanchaara. Movement, Transmission. घूमना, एक अक्ष या भंग को अनेक भंगों में क्रम से पलटना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संचार – Sanchaara. Movement, Transmission. घूमना, एक अक्ष या भंग को अनेक भंगों में क्रम से पलटना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विसदृश –Visadrsa. Dissimilar, Recognition with dis-similarity (reg. any different matters). समानता का अभाव ” प्रत्यभिज्ञान का एक भेद; स्मृति और प्रत्यक्ष के विषयभूत पदार्थों में विसदृशता दिखाते हुये जोड़रूप ज्ञान को विसदृश प्रत्यभिज्ञान कहते हैं ” जैसे – गाय को लेकर भैंसा में रहने वाली विसदृशता दिखाना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ उपशम – Shubha Upashama. Right subsidence. प्रशस्त उपशम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यक्त्तनिर्वृत्त्यक्षर–Vyaktanirvrttyaksara. Power of pronouncing words possessed by five sensed beings. निर्वृत्त्यक्षरके दो भेदों में एक भेद; यह संज्ञी पंचेन्दिर्य पर्याप्तक तक के होता हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुरदेव- Suradeva. Name of the 2nd predestined Tirthankar (Jaina-Lord). भावीकालीन दूसरे तीर्थकर ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रविषेण – वि सं 734 में पùपुराण के रचियता एक आचार्य। Ravisena- name of an Acharya who wrote Jain Ramayan called as ‘Padmapuarn’
चतुर्भुज समलम्ब Trapezium. चार भुजाओं वाला चित्र जिसमें आमने-सामने की कोई दो भुजाएं समान्तर होती हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तीर्थंकर नामकर्म प्रकृति Auspicious Karmic nature causing the state of Tirthankar (Jaina -Lord). नामकर्म की एक पुण्य प्रकृति, इसका बंध सोलहकारण भावना भाने से होता है। ऐसे परिणाम केवल मनुष्य भव में और वहाँ भी किसी तीर्थंकर अथवा केवली के पादमूल में ही होने संभव है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चतुर्विधामर Four types of deities. ४ निकाय के देव -भवनवासी ,व्यंतर ,ज्योतिष्क ,वैमानिक ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]