लिंग व्यभिचार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिंग व्यभिचार – स्त्रीलिग के स्थान पर पुल्लिंग का कथन करना और पुल्लिंग के स्थान पर स्त्रीलिेग का कथन करना। Limga Vyabhicara-wrong interpretation of genders (i. e. masculine for feminine or vice versa)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिंग व्यभिचार – स्त्रीलिग के स्थान पर पुल्लिंग का कथन करना और पुल्लिंग के स्थान पर स्त्रीलिेग का कथन करना। Limga Vyabhicara-wrong interpretation of genders (i. e. masculine for feminine or vice versa)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिखरी (कूट) – Shikharee (koota). A summit situated at the Shikhari mountain. शिखरी पर्वतस्थ एक कूट “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्रार्थ – Shaastraartha. Religious interpretation or a doctrinal debate. वाद, धर्म प्रभावना के अर्थ में किया जाने वाला वाद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय व्रत – Nishchaya Vrata. Self realization, the super character of one. शील अर्थात् अपनी आत्मा से अपनी आत्मा में प्रवृति करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शालवन – Shaalavana. The initiation forest of Lord dharmanath. तीर्थंकर धर्मनाथ के दीक्षा वन का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय पूजा – Nishchaya Poojaa. To acieve the super knowledge of self. मुनि अवस्था में “जो परमात्मा है वह ही मै हूँ तथा जो स्वानुभवगम्य मै हूँ वही परमात्मा है, इसीलिए मै ही मेरे द्वारा उपासना के योग्य हूँ” ऐसा विचार करना ” अर्थात् आत्मा के ध्यान में एकाग्र हो जाना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्तर सत्त्व त्रिभंगी –VistaraSattvaTribhammgi. Name of a treatise written by AcharyaKanaknandi. आचार्य कनकनंदि कृत कर्म सिध्दांत विषयक प्राक्रत भाषा का एक ग्रंथ ” समय – ई.सन् ९३९
उपादेयबुद्धि Useful right knowledge . सम्यग्दृष्टि हेय को छोड़कर ग्रहण करने योग्य पदार्थ को ग्रहण करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसाधिकाम्मोद – रसधिक जाति के मेघ। यं रस की वर्शा करते हैं।उत्सर्पिणी काल में अतिदुशमा काल के अन्त में ये बरसते है जिससे घरती उपजाउ होती है। Rasadhikammoda-A kind of clouds causing juicy raining