लोभाणु!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोभाणु –Lobhaanu Subtle form of greed . सूक्ष्म साम्पराय गुणस्थान जहां लोभाणु अर्थात् सूक्ष्म लोभ रहता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोभाणु –Lobhaanu Subtle form of greed . सूक्ष्म साम्पराय गुणस्थान जहां लोभाणु अर्थात् सूक्ष्म लोभ रहता है “
उपशांतमोह Subsided delusion, The saint with quiescent passions . उपशम कषाय का अपर नाम।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीरसागर (आचार्य) –Virasagara (Acarya) Name of the first disciple of CharitraChakravartiAcharyaShriShantisagarjiMaharaj in his Acharya tradition. चरित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शान्तिसागर महाराज के प्रथम शिष्य एवं उनकी परम्परा में पटाटाघीश आचार्य ” जन्म – सन १८७६ में आषाढ शुक्ला १५ (गुरु पूर्णिमा ) एवं समाधि – संन १९५७ आश्विन कृ. अमावस ” सन…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकोत्तर मंगल –Lokottara Mangal: Artificial & natural temples,Lord Arihant etc. are called Lokottara Mangal. अरिहंत भगवान ,कृत्रिम-अकृत्रिम चैत्यालय आदि ये समस्त संसार के लिए मंगल स्वरुप होते हैं “
उपसौमनस A part of Saumanasa forest. सौमनस वन का एक अन्तर्वर्ती वन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिलोकतीज व्रत A type of fasting. तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल तीज का उपवार करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आवीचिका मरण Instantial death (destruction of the body). जीव की आयु का प्रतिक्षण क्षीण होने रूप नित्य मरण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वृत्ति अक्षर – Nirvrtti Akshara. Words pronounced by the living beings. जीवों के मुख से निकले शब्द, यह व्यक्त और अव्यक्त ऐसे दो प्रकार से होते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रामसेन – कई आचार्य का नाम माथर सध के प्रवर्तक वीरसेन आचार्य के षिश्य सेन संधी गुरू नागसेन के षिश्य तथा तत्वानंुषासन के कत्र्ता, काश्ठसंध के क्षेमकीर्ति के षिश्य। Ramasena-name of many jaina Acharyas or saints
उत्तरोत्तर कर्म प्रकृति Secondary karmic nature. 148 उत्तर कर्म प्रकृतियों के भी भेद-प्रभेद।[[श्रेणी:शब्दकोष]]