पौरुषवाद!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पौरुषवाद – Paurushvada. A doctrine believing in the principle of ‘ work is worship’. एक सांख्यमत ” जो दैव, कर्मोदय को न मानकर मात्र पुरुषार्थ से ही कार्य की सिध्दी मानते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पौरुषवाद – Paurushvada. A doctrine believing in the principle of ‘ work is worship’. एक सांख्यमत ” जो दैव, कर्मोदय को न मानकर मात्र पुरुषार्थ से ही कार्य की सिध्दी मानते हैं “
इन्द्रियावलोकन अब्रह्म Attraction towards the beauty of ladies. स्त्रियों के मनोहर अंगों को राग भाव से देखने रूप कुशील।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिकरण Three types of pure attitudes of soul involved in penance. जीव के तीन प्रकार के विशुद्ध परिणाम, अधःप्रवृत्तकरण, अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृषभदेव–Vrsabhadeva. Name of the 1stTirthankar( Jaina – Lord), the son of king Nabhiral& queen Marudevi. भरतक्षेत्त चोबीसो के प्रथम तीर्थकर कुलकर नाभिराय रानी मरूदेवी के पुत्र जिनके ॠषभदेव , पुरुदेव , आदिनाथ आदि नाम प्रसिद्ध हैं बी”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाचिराज – Naciraja A kannad poet who wrote a commentary book on ‘Amorkosh’ in kannad. कन्नड़ जैन कवि; उमरकोश की कन्नड़ टिका के कर्ता “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनःशुद्धि – Manahsuddhi. Mental purity. छल कपट आदि समस्त बुरे भावो से विरक्त होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभंगदर्शन – Vibhamgadarsana. Apprehension of something with false clairvoy-ance. विभंगज्ञान के साथ होने वाला दर्शन “
एषणासमिति Carefulness in alms, food accepting for saints. 5 समिति में एक समिति-मुनि का 46 दोषों से रहित आहार ग्रहण करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]