बाह्योपधि व्युत्सर्ग!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्योपधि व्युत्सर्ग – Bahyopadhi Vyutsarga. Renouncement of external means, attachments etc. बाह्य परिग्रह; क्षेत्र, वास्तु आदि का त्याग करना अर्थात् अपरिग्रह , महाव्रत का पालन करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्योपधि व्युत्सर्ग – Bahyopadhi Vyutsarga. Renouncement of external means, attachments etc. बाह्य परिग्रह; क्षेत्र, वास्तु आदि का त्याग करना अर्थात् अपरिग्रह , महाव्रत का पालन करना “
आहार-काल Divinely emanation of translocational body (Aharak Sharir). दिगम्बर जैन साधुओं का भोजन काल-3 मुहूर्त जघन्य 2 मुहूर्त मध्यम 1 मुहूर्त उत्कृष्ट काल है(मूलाचार ग्रन्थ के अनुसार)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्मल आकाश –Nirmala Aakaasha. Absolute pure sky, immaculateness of sky (an excellenc of Lord – Arihant). 14 देवकृत अतिशियोंमें एक अतिशय; आकाश का धुआं, उल्कापातादी से रहित होकर निर्मल हो जाना”
दुर्गाटवी A hermitage on the mountain. पर्वत के ऊपर वसती। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आहारक मिश्र काययोग Vibration in soul-points during the completion of Aharak Sharir. आहारक शरीर की उत्पत्ति प्रारम्भ होने के प्रथम समय से लगाकर शरीर पर्याप्ति पूर्ण होने तक अन्तर्मुहुर्त के मध्यावर्ती अपरिपूर्ण शरीर के द्वारा उत्पन्न योग।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्दंड – Nirdanda. utkrisht Freedom of soul from all types of faults ( reg.mind, speech or body). मानदंड या मनोयोग, वचनदण्ड और कायदण्डके योग्य द्रव्यकर्मो तथा भावकर्मो का अभाव होने से आत्मा निर्दंड (निर्दोष) होती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरुपणा – Nirupanaa. Act of defining, exposition or investigation. नाम, जाति आदि की दृष्टि से कथन या अन्वेषण करना “