विशदावग्रह!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशदावग्रह – Vshadavagraha. Decisive right apprehension. जो अवग्रह निर्णयरूप होता है उसे विशद अवग्रह कहते है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशदावग्रह – Vshadavagraha. Decisive right apprehension. जो अवग्रह निर्णयरूप होता है उसे विशद अवग्रह कहते है “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पति :Husband, the male life partner. यज्ञ, पूजा, प्रतिष्ठा आदि शुभ कार्यो के साथ स्त्री का विववाह जिसके साथ हुआ हो ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेषनय – Vishesha Naya. A particular standpoint believing that the soul is non-extricated. अव्यापकता रूप कथन करने वाला नय ” जैसे – आत्मद्रव्य एक मोती की भांति अव्यांपक है, सदा से रहने वाले नर – नारकादि जीव का बोधन करना विशेष नय हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सातिप्रयोग – Saatiprayoga. A type of illusion, wrong practices of telling lie for money, embezzlement etc. माया के 5 भेदो मे एक भेद, धन के विषय मे असत्य बोलना, किसी की धरोहर का कुछ भाग हरण कर लेना, दूषण लगाना अथवा झूठी प्रषंसा करना सातिप्रयोग माया है।
उभय प्रायश्चित Bilateral repentance (to repent and become free from the same) . अपने अपराध की गुरु के सामने आलोचना करके गुरु की साक्षीपूर्वक अपराध से निवृत्त होना (धवला से)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == क्षणभंगुरता : == जन्म मरणेन समं, सम्पद्यते यौवनं जरासहितम्। लक्ष्मी: विनाशसहिता, इति सर्व भंगुरं जानीत।। —समणसुत्त : ५०७ जन्म मरण के साथ जुड़ा है और यौवन वृद्धावस्था के साथ। लक्ष्मी चंचला है। इस प्रकार (संसार में) सब कुछ क्षणभंगुर है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सागार धर्मामृत – Saagaara Dharmaamrita. Name of a book written by Pandit Ashadhar. पं. आशाधर (ई. 1173-1243) द्वारा रचित संस्कृत श्लोकबद्व श्रावकाचार विषयक ग्रंथ । इसमे 8 अध्याय और 477 श्लोक है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक शरीर नामकर्म प्रकृति –VaikriyikaSariraNamakarnnaPrakrti. A physique making Karmic nature of the formation of transformable body of deities & hellish beinghs. नामकर्म, जिसके उदय से विकार करने योग्य या बदलने योग्य देव या नारकियों का शरीर प्राप्त हो “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकीर्णक – Prakirnaka. Another name of Angabahyashrut, part of shrutgyan (scriptural knowledge), Scattered heavenly abodes and dwelling places of hell are called Prakirnak. अंगबाहाश्रुत का अपरनाम – इनके १४ भेद हैं, स्वर्ग में बिखरे हुए विमान एवं नरकों में बिखरे हुए बिल “