ऐन्द्रिय सुख!
ऐन्द्रिय सुख Sensual pleasure. इन्द्रियों के द्वारा प्राप्त क्षणिक सुख।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ऐन्द्रिय सुख Sensual pleasure. इन्द्रियों के द्वारा प्राप्त क्षणिक सुख।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावस्वाध्याय – Bhavasvadhyaya. Rethinking of spiritual contents. स्वाध्याय के द्वारा शुध्द आत्मा को अनुभव में लाना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव परिवर्तन – Bhava Parivartana. Volitional changes causing the transmigration of soul continuously. पंचपरिवर्तन में एक परिवर्तन; मिथ्यात्व के वश में पड़कर प्रकति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश बंध के कारणभूत परिणामों या भावों का अनुभवन “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वभाव नय – Svabhaava Naya. A standpoint expressing the real nature of matter. द्रव्यार्थिक नय, द्रव्य के वास्तविक स्वभाव का कथन करता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदिशा – Vidisha. Subdirections, quarter parts of the four direc- tions. चारों दिशाओं के अतिरिक्त प्रत्येक दो दिशाओं के मध्य स्थित दिशाएँ – ईशान, आग्रेय, नैऋत्य, वायव्य, ये ४ विदिशाएं कहलाती हैं “
उपशांतकरण Immaturity of Karmas.कर्म की उदयावली में आने की असमर्थता होना अर्थात् उदय में न आना, दबे रहना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पूर्वापर विरोध – Purvapara Virodha. State of mutual contradiction. पूर्व और उत्तर समय अर्थात् परस्पर में विरोध होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपर चतुष्टय – Svapara Catustaya. Quartel of the properties of matter (in relation to Dravya, Kshetra, Kal, Bhav) related to self & others.द्रव्य का अपना द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव स्वचतुष्टय एवं इतर द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव परचतुष्टय कहलाता है। इसकी अपेक्षा ही वस्तु मे अस्तिनास्ति, भेदाभेदपना पाया जाता है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरा बंध Continuity of binding of Karmas.ब्ंाध की निरन्तरता का नाम बंध परम्परा है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवेक – Viveka. Prudence, Conscience, Judgement, Discretion. जिसमें राग हो ऐसे अन्न-पान आदि का त्याग करना दोषोंत्पाद्क द्रव्यादिकों का मन से अनादर करना, भले-बुरे का ज्ञान “