उदीरणा!
उदीरणा Premature fruition of Karmas. स्थिति बिना पूरी किये ही कर्मों का फल देना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उदीरणा Premature fruition of Karmas. स्थिति बिना पूरी किये ही कर्मों का फल देना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दंषमशक – परीषह To tolerate insect-bite affliction. 22 परीषह में एक परीषह , मच्छर , मक्खी, बिच्छू, चींटी आदि के द्वारा की गयी बाधा को बिना प्रतिकार किये सहन करना एंव मन, वचन, काय से उनको बाधा न पहुंचना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधस्वामित्व- कर्म सिद्धान्त विषयक एक ग्रंथ। Bandhasvamitva- Name of a book
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाषा परिच्छेद – Bhasha Pariccheda. Name of a book written by Vishvanath. विश्वनाथ कृत वैशेषिक दर्शन का एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संकर दोष – Sankara Dosa. Hybridisation- a fault. किसी धान्य, फल, पुष्प अथवा जाति में दो भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तु या जाति के सम्मिश्रण से संकर दोष होता है ” जैसे दो प्रकार की गुलाब की कलम का मिश्रण कर लगाने से तीसरे रंग का पैदा हुआ गुलाब संकर कहलाता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लांगलचित्र – परिणाम संख्या की हल के आकार की रचना लांगल चित्र कहते है। Lamgal Citra-a plough like figure
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षण्णवति प्रकरण – Sannavati Prakarana. Name of a book written by Acharya Somsen. आचार्य सोमसेन (ई. 943-968) कृत न्याय विषयक एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधपरिणाम- जीव के बंध योग्य कषाय आदि परिणाम। Bandhaparinama- passions etc. – causes of binding of karmas
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनुष्यगति प्रायोग्यानुपूर्वी – Manushyagati Praayogyaanupuurvi. Transmigratory state of soul as in previous shape while going towards human birth. जिस कर्म के उदय से मनुष्य गति में जाते हुए जीव के पूर्व शरीर के समान आत्मा के प्रदेशों का आकार बना रहे “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्पर्याप्ति – Satparyaapti. Six kinds of basic devlopment of beings. आहार, शरीर,इन्द्रिय,स्वासोच्छ्वास, भाषा और मनः प्रयाप्ति “