निरन्वय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरन्वय – Niranvaya. Inapplicability, discrete, Irrelevance. संगतिरहित, सम्बंधरहित, असंबद्ध “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरन्वय – Niranvaya. Inapplicability, discrete, Irrelevance. संगतिरहित, सम्बंधरहित, असंबद्ध “
दो गुणहानि A kind of decreasing series. गुणहानि आयाम को दो गुना करने पर जो प्रमाण प्राप्त होता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकविनिश्चय – Lokavinishcaya.: Name of a Prakrit treatise. एक प्राकृत भाषा का ग्रन्थ ,इसके लेखक का नाम व समय अज्ञात है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नियमसार प्राभृत – Niyamsara prabhrta. A commentary treatise in sanskrit-Hindi writ- ten by Pujya Ganini Shri Gyanmati Mataji on Niyamsar Grantha. नियमसार की प्राकृत गाथाओं पर पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा ई॰ सन् 1984-85 में रचित “स्याद्वाद चंद्रिका” नामक संस्कृत एवं हिंदी टीका से समन्वित एक ग्रन्थ ” इस ग्रन्थ पर पं॰ शिवचरनलाल…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] [[श्रेणी:पुत्र]] सुयश – Suyasha. Good reputation or fame. Name of a residential deity of saugankhik summit to Manushottar mountain. प्रसिद्धि, कीर्ति, मानुषोत्तर, पर्वतस्य सौगान्धिक कूट का स्वामी भवनवासी सुपर्णकुमार देव ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारियात्र – Pariyatra. Northem part Vindhya country, Name of a mountain. विन्ध्य देश का उत्तरीय भाग, एक पर्वत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमंगला – Sumamngalaa. Mother’s name of Lord Sumatinath & the 2nd Chakravarti sagar. तीर्थकर सुमतिनाथ की माता जो अयोध्या के राजा मेघप्रभ की रानी थी , दूसरे चक्रवर्ती सगर की जननी ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार – Para. End, limit. किनारा- जिनेन्द्र भगवान की भक्ति भव सागर से पार लगाती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भव्यज्ञायक शरीर – Bhavyagnayaka Sarira. One who is going to be learned one in future. नो आगम द्रव्य का एक भेद; जो कर्म के स्वरूप को कहने वाले शास्त्र का जानने वाला आगे होगा वह भव्यज्ञायक शरीर कहलाता हैं “