त्रिलोकगुरू!
त्रिलोकगुरू One who is great in all three worlds. अनंत ज्ञानादि महान गुणों के द्वारा जो तीन लोकों में भी महान् है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिलोकगुरू One who is great in all three worlds. अनंत ज्ञानादि महान गुणों के द्वारा जो तीन लोकों में भी महान् है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वस्तुविद्या – Vastuvidyaa.: Name of a treatise written y Acharya Vasunandi. आचार्य वसुनंदि कृत एक ग्रन्थ “समय –ई .श.11 “
उष्मगर्भकूट Less eating of diet, Small fasting . मानुषोत्तर पर्वत का एक कूट।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुर्दश पूर्वधर Acharyas possessing knowledge of 14 Purvas. १४ पूर्व के ज्ञाता ५ मुनि ; विष्णु , नंदिमित्र , अपराजित , गोवर्धन , भद्रबाहु ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसुंधरा – Vasundharaa Another name of earth , Name of a female divinity of Ruchak mountain. पृथिवी का अपरनाम ,रुचक पर्वत की एक दिक्कुमारी देवी “
चतुर्थकाल The fourth division of Avasarpini Kal (regressive half cycle of time). अवसर्पिणी काल के ६ भेदों में दुषमा-सुषमा नामक चौथा भेद , जिसमें २४ तीर्थंकर जन्म लेते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वलीक – Valiik.: One of the omniscients in the assembly of Lord Mahaveera. भगवान् वीर के तीर्थ के 10 अंतकृत केवली में एक “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्द्धमान – Varddhamaana. : Another name of Lord Mahaveera given by Indras, Name of a summit in the north of Ruchakvar mountain. कीर्ति तथा गुणों से वृद्धिंगत होने के कारण इंद्र द्वारा प्रदत्त भगवान महावीर का अपरनाम ,रुचकपर्वत की उत्तर दिशा का एक कूट “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भागाहार संक्रमण – Bhagahara Samkramana. Transitional change in omen Karmas of beings. जिनके द्वारा संसारी जीवों के शुभ – अशुभ कर्म परिणामों के निमित्त पाकर बदल जाये – अन्य प्रक्रति रूप हो जावे, इसके ५ भेद हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्यासागर – Vidyashagara. Name of a great Digambar Jain Acharya of 20th century. चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के द्वितीय पट्टाधीश आचार्य श्री शिवसागर महाराज के शिष्य मुनि श्री ज्ञानसागर महाराज (जो बाद में समाज द्वारा आचार्य बनाये गये) द्वारा दीक्षित बीसवीं सदी के एक प्रभावक आचार्य “