लोकानुप्रेक्षा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकानुप्रेक्षा –Lokaanupreksha.: See –Loka Anupreksha. देखें –लोक अनुप्रेक्षा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकानुप्रेक्षा –Lokaanupreksha.: See –Loka Anupreksha. देखें –लोक अनुप्रेक्षा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरतिचार – Niratichaara. Non-transgression, Non-violation. दोष न लगाना, अतिचार रहित “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर्युपासना – Paryupaasana. Service, devotion. समर्पण व सेवा का भाव होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संरक्षणानंद – Sanraksanaananda. To worry for prosperity. रौद्रध्यान का एक भेद; धन के उपार्जन एवं संरक्षण आदि का चिंतन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकपूरण समुद्घात – Lokapuran Samudghaata.: Universaily pervasion of the soul-points of omniscient one (Kevali Bhagwan). केवली समुद्घात का चौथा चरण ; केवली भगवान के आत्मप्रदेशों को सर्वलोक में फैलाना या व्याप्त करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारिणामिक गति – Parinamika Gati. Resultant motion of air, fire etc. स्वभाव गति; वायु, अग्नि, परमाणु, मुक्तजीव, ज्योतिर्देव आदि की गति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोक – Lok.: Universe (divided into three parts lower , middle & upper). आकाश का वह भाग जहाँ जीव आदि पांचों द्रव्य विद्यमान हैं “343 घनराजू प्रमाण लोकाकाश “यह तीन भागों में विभक्त है –अधोलोक , मध्यलोक व ऊध्र्वलोक “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पायस – Payasa. Rice boiled in milk with sugar (Kheer), an Indian sweet-dish. खीर. भगवान ॠषभदेव के अतिरिक्त शेष २३ तीर्थकरों को दीक्षा के बाद प्रथम पारणा के रूप में ‘खीर’ का आहार दिया गया था “
दशकरण चूलिका A part or lesson of ‘Gommatsar-Karmakanda’ treatise. गोम्मटसार – कर्मकांड ग्रंथ का एक अध्याय , इसमें 10 कारणों का स्वरूप है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]