गौतमी पुत्र!
गौतमी पुत्र An ancient warrior (king), beginner of Shak era. राजा सातकर्णी (शालिवाहन) जिसने शर्को के अंतिम राजा नरवाहन को वी.नि. ६०६ (ई.७९) में परास्त करके शक संवत् की स्थापना की ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गौतमी पुत्र An ancient warrior (king), beginner of Shak era. राजा सातकर्णी (शालिवाहन) जिसने शर्को के अंतिम राजा नरवाहन को वी.नि. ६०६ (ई.७९) में परास्त करके शक संवत् की स्थापना की ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्धात्मानुभव – Shuddhaatmaanubhava. The supreme experience, A synonym word for Mokshmarg (path of salvation). शुद्ध आत्मा का अनुभव या संवेदन होना, मोक्षमार्ग या निर्विकल्प समादी का अपरनाम “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मंदप्रबोधिनी:A commentary book written by Acharya Abhaychandra on Gommatsara Granth. आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धांत चक्रवर्ती कृत गोमटसार ग्रंथ पर आचार्य अभयचन्द्र ( ई.श. 13 अन्त) कृत टीका “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रक्तोदा कूट – रक्तोदा कुंड में स्थित कूट। Raktoda Kuta-name of a summit situated in Raktoda Kund
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विजयोदया टीका – Vijayodayaa Tikaa.: Name of a commentary book of ‘Bhagvati Aradgana Granth’ written by Acharya Aparajit. आचार्य अपराजित(ई.श. 7) द्वारा रचित भगवती आराधना ग्रन्थ की विस्तृत संस्कृत टीका “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सद्रूप – Sadruupa. Property of sameness or similarity. वस्तु मे पाये जाने वाले अनेक धर्मों मे एक धर्म-सदृशधर्म।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रघु – इक्ष्वाकु वंष में अयोध्या नगरी के राजा। अनरण्य का पिता और दषरथ का दादा। Raghu-A king of Ayodhya city of Ikshvaku Dynasty
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्ध सदभूत नय – Shuddha Sadbhoota Naya. A standpoint related to the distinction between pure matter and its pure virtues. शुद्धगुण व शुद्धगुणी में अथवा शुद्धपर्याय व शुद्धपर्यायीमें भेद का कथन करना शुद्ध सदभूत व्यवहार नय है ” जैसे- सिद्ध भगवान में केवलज्ञान “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सद्धर्म कथा – Saddharma Kathaa. Religious tales for moral & spiritual development. जिससे जीवों को स्वार्गादि अभ्युदय तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है, वास्तव मे वही धर्म कहलाता है। उससे सम्बन्ध रखने वाली जो कथा है उसे सद्वर्म कथा कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्थान विचय – Sansthaana Vichaya. A type of religious contemplation about different dimensions of Teen Lok- three worlds. धर्मध्यान का चौथा भेद ” तीन लोक के संस्थान प्रमाण, भेद आदि का चिंतन करना ” इसके पिंडस्थ, पदस्थ, रूपस्थ और रूपातीत ये 4 भेद हैं “