चैत्रोद्यान!
चैत्रोद्यान Name of a forest, initiation place of Lord Naminath. छात्रवन ; नमिनाथ भगवान के दीक्षा वन का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चैत्रोद्यान Name of a forest, initiation place of Lord Naminath. छात्रवन ; नमिनाथ भगवान के दीक्षा वन का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्षनानुगम – Sparssanaanugama. A type of Anuyogdwar (disquisition door).अनुयोगद्वार का एक भेद।
धर्मपत्नी A lawfully married woman. अपनी ही जाति की जिस कन्या के साथ अग्नि की साक्षीपूर्वक विवाह किया जाता है एंव जो पूजा प्रतिष्ठा धर्म आदि शुभकार्यों में साथ रहती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निन्दा : == मा कस्स वि कुण णिंदं होज्जसु गुण—गेण्हजुज्जओ णिययं। —कुवलयमाला : ८५ किसी की निन्दा मत करो, गुणों को ग्रहण करने में उद्यम करो।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्निग्ध गुण – Snigdha Guna. Greasiness, smoothness.फ्ुद्गलों के स्नेह और रुक्ष दो गुणो मे एक गुण। चिकण्णपना अर्थात् चिकनाई, जिसके कारण परमाणुओ मे बंधा होता है।
धर्म(पुरूषार्थ) One of the four essential duties of a householder i.e. to follow religion. 4 पुरूषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) में प्रथम पुरूषार्थ; धर्म रूप चेष्टा जो सभी सुखों की दाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == लेश्या : == योगप्रवृत्तिर्लेश्या, कषायोदयानुरंजिता भवति। तत: द्वयो: कार्यं, बन्धचतुषक् समुद्दिष्टम्।। —समणसुत्त : ५३२ कषाय के उदय से अनुरंजित मन—वचन—काय की योग प्रवृत्ति को लेश्या कहते हैं। इन दोनों अर्थात् कषाय और योग का कार्य है चार प्रकार का कर्म—बन्ध। कषाय से कर्मों की स्थिति और अनुभाग बन्ध…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थूल ऋजुसूत्र नय – Sthuula Rjusuutra Naya. A view point related to the gross momentary state of something (body etc).अनेक समयवर्ती स्थूल पर्याय को जो ग्रहण करे वह नय, जैसे मनुष्यादि पर्याय।
धनयकुमारचरित्र See – Dhanakumåracaritra. देखें – धनकुमारचरित्र।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीर कवि –ViraKavi. Name of a great writer of ‘JambusamiChariu’ जम्बुसमी चरिउ, अपभ्रंश भाषा बद्ध ग्रन्थ के कर्ता ” समय ई १०१९ “