तेजोलेश्या!
तेजोलेश्या Yellow aura, virtuous condition of soul. पीत लेश्या, कत्र्तव्य को जानना, सबमें समभाव रखना, दया और दान में तत्पर दान में तत्पर रहना, मृदुभाषी और ज्ञानी होना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तेजोलेश्या Yellow aura, virtuous condition of soul. पीत लेश्या, कत्र्तव्य को जानना, सबमें समभाव रखना, दया और दान में तत्पर दान में तत्पर रहना, मृदुभाषी और ज्ञानी होना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यायरत्नाकमाला – Nyaayaratnamaalaa. Name of a book written by Parthsarthi Mishra. मीमांसा दर्शन साहित्य प्रवर्तक पार्थसारथिमिश्र द्वारा रचित एक ग्रंथ “
आराधित Adored, worshipped. आराधना किया हुआ- अर्थात् संसिद्ध, राध, सिद्ध अथवा साधित।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्गित संवर्गित – Vargita Sanvargita. Raising a number to its own power. विरलन –देय से प्राप्त संख्याओं को परस्पर गुणा कर देने से उस संख्या का वर्गित संवर्गित प्राप्त होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भरतेश्वराभ्युदय – Bharatesvarabhyudaya. A book written by Pandit Ashadhara. पं. आशाधर जी (ई. ११७३-१२४३) कृत एक ग्रंथ “
तुषमाषभिन्नत् Distinction between body and soul. छिलके और उड़द की तरह शरीर और आत्मा भी भिन्न है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वरांग चरित्र – Varaanga Charitra.: Name of the books written by Acharya Jatasinhnandi & by Bhattarak Varddhaman. आचार्य जटासिंहनंदी कृत एक काव्य , वर्द्धमान भट्टारक कृत संस्कृत ग्रन्थ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वनाथ काव्य पंजिका – Parsvanatha Kavya Pamjika. A book written by Acharya Shubhchandra. आचार्य शुभचन्द्र (ई. १५१६-१५५६) द्वारा रचित एक संस्कृत काव्य ग्रन्थ “
तीन Three (three jewels of Jain philosophy etc.). एक संख्या , तीन लोक , तीन चैबीसी , रत्नत्रय (तीन रत्न), तीन अज्ञान इत्यादि । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]