आराधना सार!
आराधना सार A book written by ‘Acharya Devsen’. आचार्य देवसेन (वि.990-1012) द्वारा रचित एक चतुर्विध आराधना विषयक ग्रन्थ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आराधना सार A book written by ‘Acharya Devsen’. आचार्य देवसेन (वि.990-1012) द्वारा रचित एक चतुर्विध आराधना विषयक ग्रन्थ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वरुणकायिक – Varunakaayika.: A type of deities. आकाशोपपन्न देवों के 12 भेदों में एक भेद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वनाथ पुराण – Parsvanatha Purana. Name of book written by Kannad poet ‘Parshva Pandit’. कन्नड़ कवि पार्श्व पंडित (१२०५ ई. सन्) कृत ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लब्ध्यक्षर ज्ञान – पर्याय ज्ञान या सबसे जघन्य श्रुतज्ञान।इसे निरावरण ज्ञान भी कहते है यह सूक्ष्म निगोदिया लब्ध्यप्र्याप्तक जीव के उत्पन्न होने के पहले समय में होता है। Labdhyaksara Jnana-The lowest level of knowledge
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वप्रा – Vapraa.: Name of a country of western Videh Kshetra (region). पश्चिम विदेह का एक देश “विजया नगरी यहाँ की राजधानी है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नौकार श्रावकाचार – Naukaara Shraavakaachaara. A book written by Acharya Yogendudeva. आचार्य योगेन्दुदेव (ईश.6 उत्तरार्द्ध) द्वारा अपभ्रंश भाषा में रचित एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लब्धिसम्पन्न ऋशि – सम्यग्दर्षन प्राप्ति का एक निमित लब्धिसम्पन्न ऋशियो का दर्षन। Labdhisampanna Rsi-Super saints, visiting of whom is a cause of right faith
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == जिन : == केवलज्ञान—दिवाकर—किरण—कलाप—प्रणाशिताज्ञान:। नवकेवललब्ध्युद्गम—प्रापित—परमात्मव्यपदेश:। असहायज्ञानदर्शन—सहितोऽपि हि केवली हि योगेन। युक्त इति सयोगिजिन:, अनादिनिधन आर्षे उक्त:।। —समणसुत्त : ५६२-५६३ केवलज्ञान रूपी दिवाकर की किरणों के समूह से जिनका अज्ञान अंधकार सर्वथा नष्ट हो जाता है तथा नौ केवललब्धियों (सम्यक्त्व, अनंतज्ञान, अनंतदर्शन, अनंतसुख, अनंतवीर्य, दान, लाभ, भोग व उपभोग)…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव मोक्ष – Bhava Moksa. Psychical salvation. आत्मा का वह शुद्ध भाव जिससे सर्व कर्म झड़ जाये व आत्मा कर्म बंधन रहित अर्थात् मुक्त हो जावे “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलादेश – Sakalaadesha. Other name of Sayaggyan (right knowledge). प्रमाण अर्थात् सम्यग्ज्ञान को सकलादेश कहते हैं “