नाना-जीव नाना-अजीव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाना-जीव नाना-अजीव – Nana-Jiva Nana-Ajiva Theory of many animates and inanimates अनेक जीव और अनेक अजीव ”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाना-जीव नाना-अजीव – Nana-Jiva Nana-Ajiva Theory of many animates and inanimates अनेक जीव और अनेक अजीव ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == श्रद्धा : == जं सक्कइ तं कीरइ, जं न सक्कइ, तयम्मि सद्दहणा। सद्दहमाणो जीवो, वच्चइ अयरामरं ठाणं।। —धर्म संग्रह : २-२१ जिसका आचरण हो सके, उसका आचरण करना चाहिए एवं जिसका आचरण न हो सके, उस पर श्रद्धा रखनी चाहिए। धर्म पर श्रद्धा रखता हुआ जीव भी जरा…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सापेक्ष नय – Saapeksha Naya. A standpoint related to relativity. सापेक्ष नय वस्तु स्वरूप हैै जो सम्यक है एवं स्व व पर के उपकार के लिये होता है।
ऋजुमनस्कृतार्थज्ञ One having telepathic knowledge related to mental activities. मन के द्वारा किये जाने वाले कार्य को ऋजुमति मनःपर्यय ज्ञान के द्वारा जानने वाला।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नागार्जुन – Nagarjuna A great personality of Bauddha, Name of a writer of Ayurved. एक बौध विद्वान (आचार्य पूज्यपाद स्वामी से प्राप्त पघावती मंत्र को सिद्ध करके इन्होने स्वर्ण बनाने की विघा प्राप्त की)” कर्नाटक जैन कवी-वैघक शाश्त्र में पारंगत एवं नागार्जुन कल्प आदि वैघक गंथ्रो के कर्ता ”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनुष्यणी- Manushyanii. Woman , female sex. मनुष्यिनी या स्त्री “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साधु पूजा – Saadhu poojaa. Worshipping of Jaina saints. श्रावक के षट्कर्तव्यों में गुरूपास्ति नाम का एक कर्तव्य, देव गुरू, यति का पूजारूप धर्मानुराग इत्यादि ।
ऋद्धिप्राप्त आर्य Noble men (saints etc.) possessing supernatural powers. सात या आठ प्रकार की ऋद्धियों को रखने वाले जैन साधु।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == व्यसन : == जूयं मज्जं मंसं वेसा पारद्धि—चोर—परयारं। दुग्गइगमणस्सेदाणि हेउभूदाणि पावाणि।। —वसुनंदीश्रावकाचार : ५९ जुआ खेलना, मदिरापान, मांसाहार, वेश्यागमन, शिकार खेलना, चोरी करना और परस्त्रीगमन करना, ये पाप की ओर तथा दुर्गति में ले जाने के कारण हुआ करते हैं।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृथिवीकाय – Prthivikaya. Earth body (earthen), it is an inanimate form. पृथिवीकायिक जीव के द्वारा छोड़े गये शरीर को पृथिवीकाय कहते हैं ” जैसे – ईंट आदि ” जो अचेतन होते हैं “