ऐन्द्रिय सुख!
ऐन्द्रिय सुख Sensual pleasure. इन्द्रियों के द्वारा प्राप्त क्षणिक सुख।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ऐन्द्रिय सुख Sensual pleasure. इन्द्रियों के द्वारा प्राप्त क्षणिक सुख।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नंदिघोषा – Namdiguru Name of the writer of ‘Prayashchitta Samuchchaya Tika’ etc. नंदीश्वर द्वीप की पूर्व दिशा में स्थित एक वापी, रुचक पर्वत वासिनी दिक्कुमारी देवी ”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव परिवर्तन – Bhava Parivartana. Volitional changes causing the transmigration of soul continuously. पंचपरिवर्तन में एक परिवर्तन; मिथ्यात्व के वश में पड़कर प्रकति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश बंध के कारणभूत परिणामों या भावों का अनुभवन “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वभाव नय – Svabhaava Naya. A standpoint expressing the real nature of matter. द्रव्यार्थिक नय, द्रव्य के वास्तविक स्वभाव का कथन करता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] A viewpoint of knowing the things with poly ends (Right perceptions). सम्यग्द्रष्टि; वस्तु स्वभाव को विवक्षानुसार या अनेक नयों से जानने वाला “
उपशांतकरण Immaturity of Karmas.कर्म की उदयावली में आने की असमर्थता होना अर्थात् उदय में न आना, दबे रहना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] Reverential word used while bowing down before the saints etc. विनय; साधु इत्यादि को नमन करना ” दिगम्बर मुनिराज एवं आर्यिका माताओं के चरणों में नमन करते समय ‘नमोस्तु’ कहा जाता हैं “
आयंबिल An austerity with single item food, Tasteless food. स्वाद रहित, रूखा भोजन, नीरस भोजन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपर चारित्र – Svapara Caaritra. Perfect and imperfect right conduct.निश्चय व्यवहार चारित्र। निज शुद्वात्मा के संवेदन मे अनुचरण करना अर्थात् समता भाव स्वचारित्र तथा शुद्वात्म रुप से रहित होकर रागभाव रुप परिणमन अर्थात् शुद्वोपयोग से विपरीत परद्रव्यो मे शुभ अषुभ रुप परचारित्र है।
ध्वजा Flag, an auspicious device which is kept with idols of Lord Arihant. झंडा जिन प्रतिमा के समीप विद्यमान रहने वाले 108 उपकरणों में एक । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]