विवाहिता स्त्री!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवाहिता स्त्री – Vivahita Stri. Married Woman, accepted ritually. देवशास्त्रगुरु को नमस्कार कर तथा अपने भाई – बन्धुओं की साक्षीपूर्वक जिस कन्या के साथ विवाह किया जाता है वह विवाह स्त्री कहलाती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवाहिता स्त्री – Vivahita Stri. Married Woman, accepted ritually. देवशास्त्रगुरु को नमस्कार कर तथा अपने भाई – बन्धुओं की साक्षीपूर्वक जिस कन्या के साथ विवाह किया जाता है वह विवाह स्त्री कहलाती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव मार्गणा – Bhava Margana. Psychical investigation. जिन भावों के द्वारा जीवों का अन्वेषण किया जाता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंकभाग – Pankabhaaga. A part of Ratnaprabha earth of hell. अधोलोक में सबसे पहली रत्नप्रभा पृथ्वी के तीन भागों में दूसरा भाग जो पंक कहलाता है ” भवनवासी असुरकुमार एवं राक्षस जाति के व्यंतर देवों के भवन यहाँ बने हुए है “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेघमाल–Meghmaal. Name of a city in northern Vijayardh mountain, Name of a Vakshar mountain situated in western Videh (a region) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का नगर, अपर विदेह स्थित एक वक्षार पर्वत”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूतक – Sutaka. Impurity caused due to the birth or death of one. लोक व्यवहार में जन्म मरण के निमित्त से हुई अषुद्धि को सूतक कहते है। सूतक काल में देव पूजा, आहार दान आदि कार्य नही किया जाता ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैनयिक मिथ्यात्व –VainayikaMithyarva. A type of wrong faith pertaining to pay equal reverence to all deities & all religions. सब देवता और सब मतों को एक समान मानना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विष वाणिज्य – Visha Vanijya. Trade of poison, destructive for all beings. जीवों को घात करने वाले विष का व्यापार “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म स्थूल स्कंध – Sukshma Sthoola Skandha. Invisible perceptible matters. स्कंधों के 6 भेदों में चैथा भेद । जो आंखों से दिखाई नहीं देते किन्तु शेष 4 इन्द्रियों से ग्रहण किये जाते है ऐसे स्कंधों को सूक्ष्म स्थूल स्कंध कहते है। जैसे – वायु, शब्द, गंध आदि ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिपासा – Pipasa. Thirst, Desire, Craving. प्यास, तृष्णा, लालच “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनायक यंत्र – Vinayaka Yamtra. An emancipated auspicious mystical metallic plate. एक यंत्र जिसमें ‘चत्तारी मंगलं’ आदि मन्त्रों की रचना विशेष है ” यह विघ्न विनाशक यंत्र कहलाता है “