वरान्गचरिउ!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वरान्गचरिउ – Varaangachariu: Name of an Apbhransh (an ancient language) treatise. कवि तेजपाल कृत अपभ्रंश ग्रन्थ ” समय –ई.स . -1450 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वरान्गचरिउ – Varaangachariu: Name of an Apbhransh (an ancient language) treatise. कवि तेजपाल कृत अपभ्रंश ग्रन्थ ” समय –ई.स . -1450 “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैश्वानर –Vaisvanara Name of the 4th Rudra, Name of a king of Kurudynasty, A type of Vidyadhar dynasty. चौथा रूद्र अपरनाम विशालनयन था, कुरुवंशी एक राजा, विघाधरों की एक जाति “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == धनासक्ति : == धन धरती में गाडै बौरा, धूरि आप मुख लावे। मूषक साँप होइगो आखर, तातै अलठि कहावै।। —आनन्दघन ग्रंथावली : पद—४ मूढ़ मानव अपने धन का संरक्षण करने हेतु धन को जमीन में गाड़ता है और उस पर धूल डालता है किन्तु वस्तुत: वह धन के…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वनस्पति (काय) – Vanspati (Kaaya): Vegetation (one-sensed beings),Vegetable bodied. वनस्पति एकेन्द्रिय जीव के द्वारा छोड़ा गया शरीर “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुकुटबद्ध राजा–Mukutbaddh. A crowned king. मुकुटधारी राजा”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृहतपल्य व्रत –VrhatapalyaVrata. A particular kind of vow to be observed with particular procedure. प्रत्येक माह मे ये कई व्रत आते हैं, यह एक वर्ष तक किया जाता है ” एक वर्ष मे इसके ७२ व्रत होते हैं ” इसमे एक – एक उपवास का पल्य – पल्य उपवास बराबर फल होता…
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूर्ख श्रोता–Muurkh Shrota. Stupid listener. See – Muudh Shrota. श्रोता केक प्रकार” देखे– मूढ़ श्रोता”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकेवल – Nokevala. Nine kinds of destructional volitions. क्षायिक भाव; केवलदर्शन, केवलज्ञान, क्षायिकदान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य, क्षायिक सम्यक्त्व-चारित्र “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावविशुध्दी – Bhavavisuddhi. Volitional purity. प्रत्याख्यान; राग द्वेष आदि अशुभ परिणाम का त्याग करना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == राग-द्वेष : == रत्तो बंधदि कम्मं, मुंचदि जीवो विरागसंपन्नो। —समयसार : १५३ जीव रागयुक्त होकर कर्म बांधता है और विरक्त होकर कर्मों से मुक्त होता है। असुहो मोह–पदोसो, सुहो व असुहो हवदि रागो। —प्रवचनसार : २-८८ मोह और द्वेष अशुभ ही होते हैं। राग शुभ और अशुभ, दोनों…