प्राणातिपात!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणातिपात- प्राणासे प्राणियों का वियोग करना। अथवा मन, वचन, काय की हिंसापूर्ण प्रवृŸिा। Pranatipata- Killing, Violenceful activities
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणातिपात- प्राणासे प्राणियों का वियोग करना। अथवा मन, वचन, काय की हिंसापूर्ण प्रवृŸिा। Pranatipata- Killing, Violenceful activities
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भिन्न – Bhima. Fraction, Separate, Distinct, Different. प्रथक्, विभक्त , इतर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राकार – जिनगृह आदि की रक्षाके लिए पाश्र्व में बनायी गई भीतों (दीव्रालों) को प्राकार कहते है। प्राकार Prakara- Enclosing wall, Boundary
दानवीर Extremely charitable, A title, Philanthrophist. महान दानी व्यक्तियों की एक उपाधि, भामाशाह को यह उपाधि प्राप्त थी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == कुपुत्र : == सयलजणनयणकडुयं नित्यामं तह पयायपरब्भट्ठं। नियतणयं धूमं पेच्छिऊण छारं गओ अग्गी।। —गाहारयणकोष : ८१० समस्त लोगों की आँखों को कडुवा लगने वाला, पुरुषार्थ रहित, प्रताप से भ्रष्ट अपने पुत्र धुएं को देखकर आग (लज्जा से) स्वयं जलकर राख बन गई है। (बड़े व्यक्ति भी अपने कुपुत्रों से…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बलाकामरण- मरण का एक प्रकार; कृतिकर्म, ब्रत, धर्मध्यान, विनय आदि कार्यों से दूर भगने वाले मुनि का मरण इसे पलायमरण भी कहते है। Balakamarana- Death of a saint escaping from religious observances
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नंदिषेण – Namdisena Name of the Acharya, 6th Balbhadra, Past-birth name of Lord Chandraprabhu & Lord Suparshvanath, the 3rd predestined Narayan. पुत्राट संघी एक आचार्य जितदण्ड के शिष्य और दीपसेन के गुरु, छठें बलभद्र का नाम, चंद्रप्रभु एवं सुपार्शव भगवान के पूर्व भव का नाम, भारतक्षेत्र के आगामी तीसरे नारायण ”
आहार्य विपर्यय Assimilated molecules of Karmas. दूसरे के गलत उपदेश से विपरीत शास्त्रज्ञान का ग्रहण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बारह तप व्रत- शुक्ल पक्ष में विशेष वििध के साथ किया जाने वाला उपवास। ये 144 दिन में पूर्ध किया जाता है। इसकी विशेष वििध व्रत विधान संग्रह के पृ. 115 पर एवं किशनसिंह क्रियाकोश में देखें। Baraha tapa Vrata- A particular type of vow (fasting)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्त्व – Sattva. Earth, Water, Fire & Air are called Sattva. पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु- इन चार को सत्त्व कहते है “