द्विस्थानीय!
द्विस्थानीय A type of actual fruition of Karmic matters. अनुभाग बंध अप्रशस्त प्रकृतियों की अपेक्षा लता दारू रूप अथवा नीमकांजीर रूप तथा प्रशस्त प्रकृतियों की अपेक्षा गुड़ खाण्ड रूप बंध।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्विस्थानीय A type of actual fruition of Karmic matters. अनुभाग बंध अप्रशस्त प्रकृतियों की अपेक्षा लता दारू रूप अथवा नीमकांजीर रूप तथा प्रशस्त प्रकृतियों की अपेक्षा गुड़ खाण्ड रूप बंध।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परमार्थ दोहा शतक: See- Paramartha Gita.देखें – परमार्थ गीत
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सादि स्थिति बंध – Saadi Sthiti Bandha. Rebinding of particular karmic duration i.e. rebinding of karmas in reference to Sthiti Bandh. विवक्षित कर्म की स्थिति के बंध का अभाव होकर पुनः उसके बंधने को सादि स्थितिबंध कहते हैं।
ऋक्षराज A member of Vanar dynasty. वानरवंश का एक सदस्य एंव नल, नील के पिता।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवृत्त – Sanvrtta. Covered, Concealed, Hidden, A type of female genital organ. जो ढका हुआ हो उसे संवृत्त कहते हैं ” या ऐसा स्थान जो देखने में न आये, योनि का एक भेद “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विमोचितावास – Vimochitavasa. A reflection of vow of non-stealing (staying of a saint in a deserted place). अचौर्यव्रत की एक भावना; दूसरे के द्वारा छोड़े हुए स्थानों में साधु का ठहरना “
ऊर्ध्वगति Higher/Upper destinity, Upward motion, Vertical life course. जीव व पुद्गल का उर्ध्वगमन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्वितीय स्थिति Second life time. अंतरकरण या अंतर स्थितिके उपरिवर्ती सर्वस्थिति का नाम द्वितीय स्थिति है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
उभय मन-वचन योग Bilateral vibration caused by mind and speech (in observing truth & false nature of substances). सत्य और असत्य दोनों रूप पदार्थ को जानने और कहने में जीव के मन वचन के प्रयत्न से आत्मप्रदेशों में होने वाला परिस्पंदन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्वारावती Another name of Dvaraka city. श्री कृष्ण की महानगरी; इसकी रचना देवों ने की थी और द्वीपायन मुनि के क्रोध से यह भस्म हुई थी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]