सज्जनचित्तवल्लभ!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सज्जनचित्तवल्लभ – Sajjanacittavallabha. Name of a treatise written by Acharya Mallishen. आचार्य मल्लिषेण (ई. 1047) द्वारा रचित अध्यात्म उपदेश रूप संस्कृत छंदबद्ध ग्रंथ ” इसमें 25 श्लोक हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सज्जनचित्तवल्लभ – Sajjanacittavallabha. Name of a treatise written by Acharya Mallishen. आचार्य मल्लिषेण (ई. 1047) द्वारा रचित अध्यात्म उपदेश रूप संस्कृत छंदबद्ध ग्रंथ ” इसमें 25 श्लोक हैं “
घोषसम Resonance (regarding scriptural knowledge ‘Shrutgyan’). अनुयोग श्रुतज्ञान ; जो घोष अर्थात त् द्रव्यानुयोग द्वारा के साथ उतोपन्न होता है इस कारण घोषसम कहलाता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूपातित ध्यान – सिद्ध परमेही का घ्यान करना। Rupatita Dhyana-A type of meditation deep engrossment in the form of Siddha Bhagvan
गृहीतग्रहण Acquired knowledge. ईहाज्ञान ; अवग्रह से ग्रहण किए पदार्थ को विशेष जानने की ओर उन्मुखता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त भाव – Sachitta Bhaava. Animate beings. निक्षेप रूप भाव का एक भेद ” जीव द्रव्य सहित भाव है बाकी 5 द्रव्य अचित्त भाव हैं “
घोर गुण Those (super saints) having supreme virtues. उत्कृष्ट पराक्रम सहित हैं गुण जिनके , घोर गुण (ऋद्धिधारी मुनि) कहे जाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मघवा – Maghava.: Name of the 6th earth of hell. नरक की छठी पृथ्वी, जिसका अपरनाम तमःप्रभा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्कार पुरस्कार परीषह – Satkaara Puraskaara Parishaha. Affliction of dishonour to a saint. 22 परिषहों में एक परिषह ” सत्कार का अर्थ पूजा-प्रशंसा है तथा पुरूस्कार का अर्थ निमंत्रण है ” चिरकाल से दीक्षित होते हुए भी आदर-सत्कार, प्रशंसा, आमंत्रण आदि न मिलने पर जो साधू मन को कलुषित नहीं होने देता और समतापूर्वक…
गुरुत्वगति Gravitational motion. गति का एक भेद ; पत्थर आदि के नीचे की ओर जाने वाली गति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सप्तविध संसार – Saptvidha Sansaara. Seven modes of involvement of beings in the wordly cycle. एकेन्द्रिय जीव के सूक्ष्म बादर, द्वीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय के संज्ञी और असंज्ञी ये संसारी जीव के सात भेद है, इनमें भ्रमण करना ही सात प्रकार का संसार है।