निर्ग्रन्थलिंड़्!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्ग्रन्थलिंड़् – Nirgranthalinga. Possessionless &passionless sign, state of Digambar saint. दिगम्बर मुनि; जिनमुद्रा अर्थात् अर्हन्त मुद्रा, नीष्परिग्रह लिंग (चिन्ह) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्ग्रन्थलिंड़् – Nirgranthalinga. Possessionless &passionless sign, state of Digambar saint. दिगम्बर मुनि; जिनमुद्रा अर्थात् अर्हन्त मुद्रा, नीष्परिग्रह लिंग (चिन्ह) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरावरण – Niraavarana. Univeiling, Uncovered. आवरण से रहित (केवल ज्ञान), मुनियों के द्वारा बिना आवरण के शयन करना कायक्लेश तप का एक लक्षण है”
देवावर्णवाद False allegations for heavenly deities. दर्शनमोहनीय कर्म के आस्रव का एक कारण स्वर्गलोक में रहने वाले देवी- देवता सुरापान करते हैं , मांस खाते हैं इस प्रकार देवगति के देवों पर मिथ्या आरोप लगाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लघुभाषा – 700 क्षुद्र भाशा। अरिहंत भगवान की दिव्यध्वनि 718 भाशाओ मंे खिरती है जिसमें से 18 भाशाएं व 700 लघु भाशाएं होती है। Laghubhasa-Regional language or dialect (about 700 in numbers)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकादित्य –Lokaditya : Name of a king contemporary to Akaalvarsh. उत्तरपुराण की प्रशस्ति अनुसार अकालवर्ष के समकालीन एक राजा, आचार्य लोकसेन ने इनके समय में ही उत्तरपुराण को पूर्ण किया “समय –ई .898 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नरकगति – Niratagati. Destination of hell, hellish life course or destinity. नरकगति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकबिंदुसार – Lokabindusaar. The 14th Purva (a part of Shrutgyan – scriptual knowledge) containing mathematical knowledge). 14वां पूर्व ,इसमें बारह करोड़ 50 लाख पद हैं “इन पदों में अंक राशि ,8 प्रकार के व्यवहार की विधि तथा राशि परिकर्म आदि गणित तथा समस्त श्रुत संपदा का वर्णन है “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परिमाणगत प्रत्यय :A type of renunciation. प्रत्याख्यान का एक भेद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजर्शि – ऋशि का एक भेद – विक्रिया और अक्षीण षक्ति के धारक साधु। Rajasrsi- A type of saints possessing super powers