तपकल्याणक वंदना!
तपकल्याणक वंदना Worshipping prayer of an auspicious event of Tirthankar’s (Jaina-Lord) life. कृतिकर्म सिद्ध- चारित्र- योगि व शांति भक्ति ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तपकल्याणक वंदना Worshipping prayer of an auspicious event of Tirthankar’s (Jaina-Lord) life. कृतिकर्म सिद्ध- चारित्र- योगि व शांति भक्ति ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीतराग –Vitaraga. One free from all passions and attachments, or passionless one. जहां मोह का उदय न राह हो ” आत्म साधन के द्वारा जिन्होंने राग-द्वेष को नष्ट कर दिया है उन्हें वीतराग कहते हैं ” अरिहंत भगवान पूर्ण वितारागी होते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थविर मुनि – Sthavira Muni. Senior saint guiding own saint-tradition.चतुर्विध संध के पाॅच आधारो आचार्य, उपाध्याय, गणधर, प्रवर्तक और स्थविर मे एक, जो मुनि संध मे संध की रीति व प्राचीन परम्परा बताये वह स्थविर मुनि होते है।
चतुर्मुखमह A type of worship (performed by kings). सर्वतोभद्र पूजा ; पूजा का एक भेद जो मुकुटबद्ध राजाओं के द्वारा की जाती है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तव क्रिया – Samyaktva Kriyaa. Worshipping the Jaina Lord, scriptures & saints. साम्परायिक आस्त्रव की 25 क्रियाओ मे पहली क्रिया। सच्चे देव शास्त्र गुरु की पूजा-भक्ति आदि करना। इससे सम्यक्तव की प्राप्ति और पुण्यबंध होता है।
तत्वार्थसूत्र A great treatise written by Acharya Umasvami. आचार्य उमास्वामी (ई.श.2) कृत मोक्षमार्ग, तत्वार्थ दर्शन विषयक 10 अध्यायों में सूत्रबद्ध ग्रंथ । अपरनाम -मोक्ष शास्त्र। एक बार पाठ करने से उपवास के फल की प्राप्ति करने वाला। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुष्टय Infinite perception-knowledge-bliss and potence togetherly called Chatushtay. अनंतदर्शन ,अनंतज्ञान ,अनंतसुख, अनंतवीर्य ये चार अनंतचतुष्टय कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्मद – Sammada. Name of the 2nd predestined Rudra. भावी दूसरा रुद्र।