निर्वज्ञशांवला!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वज्ञशांवला – Nirvagyanshaamvalaa. A spiritual knowledge or study regarding Vidyadhars. एक विद्याधर विद्या “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वज्ञशांवला – Nirvagyanshaamvalaa. A spiritual knowledge or study regarding Vidyadhars. एक विद्याधर विद्या “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सुख : == जं च कामसुहं लोए जं च दिव्वं महासुहं। वीतरागसुहस्सेदे णंतभागं पि णग्घई।। —मूलाचार : १४४ लोक में काम—भोगों से मिलने वाला सुख और देवों को मिलने वाला महासुख उस सुख का अनंतवाँ हिस्सा भी नहीं, जो वीतराग को प्राप्त हुआ करता है।
आश्चर्य पंचक Five auspicious omen (good occurrences). पंचाश्चर्य-रत्नवृष्टि, देव दुंदुभि मंद सुगंधित वायु प्रवाह, जय जयकार की ध्वनि यह तीर्थंकर एंव अन्य विशिष्ट महामुनियों के आहार के समय देवों द्वारा की जाती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्मूढ़ – Nirmoorha. One rational, who is capable of knowing the super soul of Self. मूढ़ता रहित; निजपरमतत्त्व को जानने में समर्थ होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भद्रबाहुचरित – Bhadrabahucarita. A book written by Acharya Ratnakirti. आचार्य रत्नकीर्ति (ई. १५१५) द्वारा रचित एक ग्रंथ “
आशा Hope, Desire, A female divinity of Ruchaka mountain. उम्मीद चाह रूचक पर्वत निवासी दिक्कुमारी देवी। [[श्रेणी:शब्दकोष]] [[श्रेणी: पुत्री]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्निमेष दृष्टि – Nirnimesha Drishti. Unwinking eyes; an excellence of Loed Arihant. पलक झपकनेका अभाव; अर्हत भगवान के केवलज्ञान के 11 अतिशियोंमें एक “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुखधन – Mukhdhan. Something principal. आदि स्थान में जो प्रमाण या संख्या है वह मुखधन कहलाती है”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य कारण – Bahya Karana. External cause. कार्य सिध्द में निमित्तभुत बाहरी कारण जिसके होने पर कार्य की सिध्द अवश्यंभावी नहीं है “