दिव्यौषध!
दिव्यौषध A divine medicine, A city in the south of Vijayardh mountain. सर्वरोगविनाशक एक दैविक औषधि, विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दिव्यौषध A divine medicine, A city in the south of Vijayardh mountain. सर्वरोगविनाशक एक दैविक औषधि, विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शत्रु : == एक: आत्माऽजित: शत्रु:, कषाया इन्द्रियाणि च। तन् जित्वा यथान्यायं, विहराम्यहं मुने।। —समणसुत्त : १२४ अविजित एक अपना आत्मा ही शत्रु है। अविजित कषाय और इन्द्रियां ही शत्रु हैं। हे मुने ! मैं उन्हें जीतकर यथान्याय (धर्मानुसार) विचरण करता हूँ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल द्रव्य विशेष गुण – Pudgala Dravya Visesa Guna. Particular properties of the matter (Pudgal). स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, मुर्तत्व, अचेतनत्व ये ६ गुण पुद्गल द्रव्य के विशेष गुण हैं “
दिवा भोजन To take food during only day time. दिन में भोजन करना (रात्रि भोजन का त्याग करना)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बालक्षुत – Balasruta. Reading of wrong scriptures. आत्म स्वभाव से विपरीत बहुत प्रकार के शास्त्रों का पढ़ाना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यप्रभ -Punyaprabha. Protecting deity of Kshaudravaradvip (island). क्षौद्रवर द्वीप का रक्षक देव “
दानांतराय कर्म प्रकृति An obscurring Karmic nature in the activity of donation. अंतराय कर्म का एक भेद वह कर्म प्रकृति जिसके उदय से कोई दान देना चाहे, परन्तु दे न सके। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वादी – Vaadii.: Expert in spiritual argument,Preceptor possessing knowledge of main principle of Jainism,The plaintiff, a complainant. शास्त्रार्थ में विजय प्राप्त करने में कुशल ,मुनियों का एक भेद-सिद्धांतो के प्रतिष्ठापक मुनि,तीर्थंकरों की समवशरण सभा में ऐसे मुनियों का समूह रहता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंडित – Pandita. A religious learned person, one having right spiritual faith. ञानी, जो पुरुष परमात्मा को शरीर से जुदा एवं केवलज्ञान से पूर्ण जानता है वही परम समाधि में तिष्ठता हुआ पंडित अर्थात् अन्तरात्मा है “