त्रसकाय!
त्रसकाय Mobile beings (two sensed to five sensed beings). स्थावर जीवों को छोडकर दो इन्द्रियों से पंचेन्द्रिय तक के जीव । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रसकाय Mobile beings (two sensed to five sensed beings). स्थावर जीवों को छोडकर दो इन्द्रियों से पंचेन्द्रिय तक के जीव । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षष्ठ बेला – Sastha Belaa. See – Sastha Bhakta. देखें – षष्ठ भक्त “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रियकारिणी- भगवान महावी की माता जो वैषाली के महाराजा चेटक की सात पुत्रियों में से सबसे बड़ी पुत्री थी। अपरनाम-त्रिषला। Priyakarini- mother’s name of lord mahavira
तैतिल A country situated in Bharat kshetra (region). भरत क्षेत्र में स्थित एक देश। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षडंशता – Sadanshata. Defining a matter into 6 parts. किसी द्रव्य को 6 अंशों में मानना “
तेईस सिंह Twenty three lions-the 1st dream of Bharat Chakravarti (an emperor) out of 16 dreams. भरत चक्रवर्ती को आए 16 स्वपनों में प्रथम स्वपन । इसका फल है वीर के अतिरिक्त 23 तीर्थंकरों के समय दुष्ट नयों की उत्पत्ति का अभाव होगा । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तुल्य बल विरोध Having opposition equally. विरोध का एक प्रकार, ज्ञान को मान लेने पर सब पदार्थें का शून्यपना नहीं बन पाता है और सबका शून्यपना मान लेने पर स्वसंवेदन की सत्ता नहीं ठहरती है यह तुल्य बल विरोध है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्वेतरुधिर – Shvetarudhira. Blood having milk colour, one of the 10 excellences of the birth of Lord Arihant. अरहंतो के जन्म के 10 अतिशयों में एक अतिशय, दूध के समान धवल (सफेद ) रुधिर होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावलिंग (साधु) – Bhavalinga (Sadhu). An absolute saint with perfect conduct. साधु का जैसा बाहर चारित्र है वैसा ही भाव होना ” प्रमत्त- अप्रमत्त गुणस्थान सम्बन्धी भाव होना ही भावलिंग है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रेयस्कर – Shreyaskara. Mertorious, Auspicious, A type of heavenly deities. लाभप्रद, मंगलकारी, लौकांतिक देवो का एक भेद “