त्रिषष्टि कर्म प्रकृति!
त्रिषष्टि कर्म प्रकृति Sixty three types of Karmic nature (which are destroyed by Lord Arihant). 63 कर्म प्रकृतियां ,जिनके नाश से अरहंत परमेष्ठी होते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिषष्टि कर्म प्रकृति Sixty three types of Karmic nature (which are destroyed by Lord Arihant). 63 कर्म प्रकृतियां ,जिनके नाश से अरहंत परमेष्ठी होते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रोषधोपवास प्रतिमा- देखें- प्रोशध प्रतिमा। Prosadhopvasa pratima- See prosadha pratima
दिक्कुमारी Eight particular female deities who come to serve the mother of Tirthankars (Jaina-Lords). श्री, ह्री, घृति, कीर्ति , बुद्धि, लक्ष्मी, शांति और पुष्टी से आठ दिक्कुमारी देवियाँ हैं जो तीर्थंकर माता की सेवा करने के लिए आती है (प्रतिष्ठा तिलक के आधार से)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
घोड़ा Horse, an auspicious significant, Symbol of the 3rd Tirthankar (Jaina-Lord) Sambhavnath. एक मंगल , तीसरे तीर्थंकर भगवान संभवनाथ का चिह्न ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशध- अश्टमी, चतुर्दषी आदि पर्व के दिन उपवास अथवा एक बार भेजन करना। Prosadha- Fasting or one time eating
त्रिवर्णाचार A book written by Somdeva Bhattarak. सोमदेव भाट्ठारक (ई. 1610) कृत पूजा- अभिषेक, सूतक- पातक आदि विषयक ग्रंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंध स्थान- बंध से जो स्थान निर्मित होता है बन्ध स्थान कहलाता है। Bandha Sthana- The place caused by binding of karmas
चतुर्दश पूर्वित्व A type of supernatural power possessed by great saints (Shrut Kevalis). एक प्रकार की ऋद्धि. द्वादशांग श्रुतज्ञान को धारण करने वाले महर्षि अर्थात् श्रुतकेवली इस ऋद्धि के धारी होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रीतिंकर- कुरुवंष का एक राजा, ऊध्र्व ग्रैवेयक का विमान। Pritimkara- A king of kuru dynesti A heavenly abode of Urdhva graiveyak
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संरंभ – Sanranbha. Resolution for some activity. जीवाधिकरण का एक भेद; कार्य करने का संकल्प करना “