सप्तकरण!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सप्तकरण – Saptakarana. Seven types of karan (conduct, disposition, operation). सात करण-अंधःकरण, अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण, क्रमकरण, अन्तरकरण, देशघातीकरण, आयुक्तकरण।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सप्तकरण – Saptakarana. Seven types of karan (conduct, disposition, operation). सात करण-अंधःकरण, अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण, क्रमकरण, अन्तरकरण, देशघातीकरण, आयुक्तकरण।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लक्षण – किसी वस्तु की पहचान बताने वाला स्वरूप हेतू या चिन्ह को लक्षण कहते है। Laksana-Symptoms, Indication, Characteristics or distinguish feature
घटयात्रा An auspicious pitcher-procession for carrying water to perform purificatory rites. It is generally conducted by the married woman. मंदिर शुद्धि , वेदी शुद्धि , शिखर शुद्धि हेतु तथा पंचकल्याणक आदि के प्रारम्भ में सौभाग्यवती महिलाओं के द्वारा विशेष विधिपूर्वक नदी, सरोवर या कुएं से मंगल कलशों में भरकर जल लाने के .लिए निकाली जाने…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यषोधर – भूतकालीत 19 वें तीर्थकर, मध्यम ग्रैवेयक का एक इन्द्रक विमान, मानुशोत्तर पर्वत के सौगन्धिक कूट का एक देव, एक राजा जिन्होने आटे के मुर्गे की बलि करके कई भवों तक दुर्गति के दुख उठाये। देखें – यषोधर चरित, आटे का मुर्गा आदि पुस्तकें। Yasodhara-Name of the 19th Tirthankar (Jaina-Lord) in the past…
गोमेदक Name of an earth layer in the base of Ratnaprabha earth, A precious stone. रत्नप्रभा पृथ्वीके खरभाग के १६ पटलों में एक पटल का नाम, एक कीमती पत्थर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सन्नासन्न – Sannaasanna. A unit of area measurement. क्षेत्र का एक प्रमाण विषेष, 8 अवसन्नासन्न = 1 सन्नासन्न।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रायमल्लाभुदय – 24 तीर्थकरों के जीवन वृत्त विशयक एक ग्रथ। Rayamallabhyudaya- name of a religious book रावण – 8 वा प्रतिनारायण राजा रत्नश्रवा व रानी कैकसी का पुत्र अपरनाम दषानन। यह लंका का राजा था इसकी 18 हजार रानियां थी। जैन धर्म के अनुसार सीता का हरण कर नारायण लक्ष्मण के हाथों मरकर तीसरे…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्धात्मा – Suddhaatmaa. The passionless supreme soul. राग-द्वेषादि रहित वीतरागी शुद्ध आत्मा “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मंदकषाय:Virtuous nature of one, less passionate. सभी से प्रिय वचन बोलना, खोटे वचन बोलने पर दुर्जनों को भीक्ष मा करना, सभी के गुणों को ग्रहण करना आदि अर्थात्शुभलेश्या रूप परिणामों का होना मंदकषाय है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्ननंदी – नंदीसंध बलात्कार गण में वीरनंदी न 1 के षिश्य व माणिक्यनंदी न 1 के गुरू। समय ई 639 से 668 Ratnanadi-Name of the disciple of Virnandi-1 and preceptor of Manikyanandi-1