सकलचारित्र!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलचारित्र – Sakalachaaritra. Conduct devoid of all attachments & possessions. समस्त प्रकार के परिग्रह से रहित होकर 5 महाव्रतों को धारण करना सकल चारित्र है, यह मुनियों के होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलचारित्र – Sakalachaaritra. Conduct devoid of all attachments & possessions. समस्त प्रकार के परिग्रह से रहित होकर 5 महाव्रतों को धारण करना सकल चारित्र है, यह मुनियों के होता है “
छाया-संक्रामिणी A type of super knowledge. एक प्रकार की विद्या ; भगवान ऋषभदेव की भक्ति द्वारा नमि-विनमि को प्राप्त विद्या ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वसाधु – Sarvasaadhu. Great Digambar Jain saints involved in spirituality. रत्नत्रय साधना में रत ढाई द्वीप संबंधी समस्त दिगम्बर जैन साधु । णमोकार मंत्र के पाॅंचवे पद में इन समस्त साधुओ को नमस्कार किया गया है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == काल : == स्पर्शरसगन्धवर्णव्यतिरिक्तम् अगुरुलघुकसंयुक्तम्। वर्तनलक्षणकलितं कालस्वरूपम् इदं भवति।। —समणसुत्त : ६३७ स्पर्श, गन्ध, रस और रूप से रहित, अगुरु—लघु गुण से युक्त तथा वर्तना लक्षण वाला काल द्रव्य है। जीवानां पुद्गलानां भवन्ति परिवर्तनानि विविधानि। एतेषां पर्याया वर्तन्ते मुख्यकाल आधारे।। —समणसुत्त : ६३८ जीवों और पुद्गलों में नित्य होने…
छिन्नगति A type of motion (reg. pervaded sound wave). गति का एक भेद ; मृदंग मेरी शंखादि के शब्द जो दूर तक जात्ये हैं , वे पुद्गलों की छिन्नगति हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वविद्याविराजिता – Sarvavidhyaaviraajitaa. See- Sarvavidyaaprakashinee. देखे – सर्वविद्याप्रकर्षिणी ।
चौइंद्रिय Four sensesd beings (reg. tasting, touching, smelling, seeing). स्पर्श , रसना , घ्राण , चक्षु इन्द्रिय वाले जीव चौइंद्रिय कहलाते हैं . कर्णइन्द्रिय , मन को छोड़कर इनके ८ प्राण होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वदोष त्याग – Sarvadosa Tyaaga. A great vow, complete renunciation of all 5 sins (violence, stealing etc.). महाव्रत। हिंसादि 5 पापों का पूर्णतः त्याग करना, इसका पालन मुनि करते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्पगुप्त – Sarvagupta. The spiritual teacher or Acharya Shivkoti name of the 26th chief disciple of Lord Rishbhdev, Name of the spiritual teacher of Acharya Mitranandi and an omniscient saint. भगवान आराधना के रचयिता आचार्य शिवकोटी के गुरु थे। समय ई.श. 1 का पूर्वपाद, भगवान वृषभदेव के 26 वें गणधर। आचार्य मित्रनंदि के गुरु।…