निर्विकल्प सुख!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्विकल्प सुख – Nirvikalpa Sukha. Indetermiate enjoyment, supreme bliss. समस्त विकल्पों से रहित मोक्ष सुख “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्विकल्प सुख – Nirvikalpa Sukha. Indetermiate enjoyment, supreme bliss. समस्त विकल्पों से रहित मोक्ष सुख “
चतुरिन्द्रिय Four – sensed beings. स्पर्शन , रसना , घ्राण , चक्षु ये ४ इन्द्रियाँ जिन जीवों के होती हैं वे चतुरिन्द्रिय जीव हैं . जैसे -मक्खी , मच्छर आदि ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आर्यिका संघ Group of ‘Aryikas’. परम्परागत आर्यिकाओं के संगठन को आर्यिकासंघ कहते हैं, जिसमें एक मुख्य आर्यिका (गणिनी) भी होती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
थोस्सामिदंडक A lesson for the prayer of Jaina Lord . थोस्सामिहं जिणवरे-इत्यादिरूप एक चौबीस तीर्थंकर स्तुति का प्राकृत पाठ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आरम्भी हिंसा Inevitable violence in performing various duties. हिंसा के चार भेदों में एक भेद वह हिंसा के संकल्प से न हो किन्तु असि आदि कर्मों एंव ग्रहस्थी प्रबंध करते हुए हो जाती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उपशांतद्रव्य Subsided matters (dravya) . उपशम अवस्था को प्राप्त द्रव्य।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रैलोक्यजिनालयव्रत A type of vow (fasting) to be observed for different 48 days in regard to different temples of Teenlok (three worlds). तीन लोक में अकृत्रिम – शाश्र्वत जिन मंदिर 856, 97, 481 है। अधोलोक के भवनवासी देवों के 10 भेदों के मंदिरों की अपेक्षा 10, मध्यलोक के पंचमेरू आदि के 12, वयतरों के 8,…
फलकहार A kind of necklace. एक हार: यह अर्धमाणवहार के मध्य में मणि लगाकर तैयार किया जाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिषष्टि कर्म प्रकृति Sixty three types of Karmic nature (which are destroyed by Lord Arihant). 63 कर्म प्रकृतियां ,जिनके नाश से अरहंत परमेष्ठी होते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]