वसुनंदि श्रावकाचार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसुनंदि श्रावकाचार– Vasunandi Shraavakaachaara.: Name of a treatise written by Acharya Vasunandi. आचार्य वसुनंदि (ई. 1068 – 1118) कृत प्राकृत गाथाबद्ध ग्रन्थ”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसुनंदि श्रावकाचार– Vasunandi Shraavakaachaara.: Name of a treatise written by Acharya Vasunandi. आचार्य वसुनंदि (ई. 1068 – 1118) कृत प्राकृत गाथाबद्ध ग्रन्थ”
उष्णाष स्तम्भ Three and a half crores. घर का शिखर या चोटी का पत्थर।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रसत्व Mobileness in the beings. जीवों के चलन की क्रिया , त्रस पर्यायपना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वशार्तमरण – Vashaartamaran.: A kind of death of one under all worldly panic desires. आर्त्त रौद्र ध्यान सहित मरण ” यह 4 प्रकार का है – इन्द्रियवशार्त, वेदनावशार्त, कषायवशार्त और नोकषायवशार्त “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्मिला – Varmilaa.: Another name of mother of Lord Parshvanath. भगवान् पार्श्वनाथ की माता वामा देवी का अपरनाम ” इनका एक नाम ब्राह्मी भी आता है “
देवचतुष्क Quartet of particular Karmic nature (reg. celestial beings). देवगति, देवगत्यानुपूर्वी , वैक्रियिक शरीर व वैक्रियिक अंगोपांग इन 4 कर्मप्रकृतियों का समूह। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सोमदत्त – Somadatta. Name of the 8th chief disciple of Lord Rishabhnath. Name of a particular person of Jaina History. तीर्थकर वृषभनाथ के 8 वें गणधर । एक सेठ जिन्होंने जिनदत्तसेठ से आकाशगामिनी वि़द्या को सिद्ध करने का उपाय सीखा, परन्तु अस्थिर चित्त के कारण सिद्ध न कर सके, उसको विद्युच्चर चोर ने सिद्ध…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भव्यकूट – Bhavyakuta. A type of stoop with rediant summits (in Samavasharan-assembly of Lord Arihant) समवशरण में दैदीप्यमान शिखरों से युक्त एक स्तूप एक जिसे भव्य जीव ही देख पाते हैं ” इसे अभव्य जीव नहीं देख पाते हैं क्योंकि स्तूप के प्रभाव से उनके नेत्र अंधे हो जाते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुजंगम – Bhujangama. Name of the 14th Teerthankar (Jaina – Lord ) in Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र में स्थित १४ वें तीर्थकर का नाम “