ध्यानांतरिकी!
ध्यानांतरिकी Internal meditational state. ध्यान-मग्न स्थिति। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
ध्यानांतरिकी Internal meditational state. ध्यान-मग्न स्थिति। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
धैर्या A river of Bharat Kshetra in Arya Khand (region). भरतक्षेत्र आर्यखण्ड की एक नदी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
धृतवीर्य A king of Kuru dynasty. धृतेन्द्र के पश्चात् हुआ एक कुरूवंशी राजा। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीपर्वत – Shreeparvata. Name of a mountain of Bharat Kshetra (region). भरत क्षेत्र का एक पर्वत ” लंका को जीतकर राम ने यहाँ का साम्राज्य हनुमान को दिया था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगाक्षर – Sanyogaaksara. Combination of syllables i.e. formation of words. अक्षरों के संयोग से बना शब्द “
धूप Fragrant gum or resin; one of the 8 worshipping articles of Lord Arihant. जिन भगवान की पूजन की अष्टद्रव्य सामग्री का एक द्रव्य, जिसको अग्नि में ‘खे’ (स्वाहा) कर अष्टकर्मों को दहन करने की भावना भायी जाती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दक्षिणाग्नि A sacred fire of square fire-pit. चैकोर कुंड की अग्नि । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
धान्यमाष फल A weighing unit. तौल का एक प्रमाण विशेष । 16 श्वेत सर्षप फल 1 धान्यमाष फल। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संप्रदान कारक – Sanpradaana Kaaraka. The dative case in grammar. षट्कारकों में चतुर्थ कारक; कर्म जिसे देने में आवे अर्थात् जिसके लिए करने में आवे ” (के लिए, के अर्थ, के वास्ते) “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निरभिमान : == जो ण य कुव्वदि गव्वं, पुत्तकलत्ताइसव्वअत्थेसु। उवसमभावे भवदि, अप्पाणं मुणदि तिणमेत्तं।। —कार्तिकेयानुप्रेक्षा : ३१३ जो पुत्र—कलत्रादि किसी का भी गर्व नहीं करता और अपने को तृण के समान मानता है, उसे उपशम—भाव होता है। रिद्धीसु होह पणंवा जइ इच्छह अत्तणो लच्छी। —कुवलयमाला : ८५ यदि…