प्रमोक्षमार्ग!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमोक्षमार्ग- अर्हत, सिद्ध अवस्था की प्राप्ति का मार्ग है। मोक्ष-अर्हत अवस्था और प्रमाक्ष-सिद्ध अवस्था है। Pramoksamarga- Path leading to the bodiless state of salvation (as lord Siddha)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमोक्षमार्ग- अर्हत, सिद्ध अवस्था की प्राप्ति का मार्ग है। मोक्ष-अर्हत अवस्था और प्रमाक्ष-सिद्ध अवस्था है। Pramoksamarga- Path leading to the bodiless state of salvation (as lord Siddha)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमादाचारित्र- प्रमाद सहित आचरण, असावधानी का काम। Pramadacaritra- Conduct of negligence, work done with lust
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण स्वार्थ- अनुमान प्रमाण के भेद; परोपदेष के बिना जो ज्ञान होता है, वह स्वार्थ प्रमाण है। PramanaSvartha- Knowledge gained by self
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण निर्णय- न्याय विशयक एक ग्रंथ का नाम। PramanaNirnaya- Name of a book
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमत्त विरत- छठा गुणस्थान, प्रत्याख्यानावरण कशाय के क्षयोपषम से सकल संयम रुप मुनिव्रत होने के पश्चात् संज्वलन कशाय और नोकशाय के उदय से संयम में मल उत्पन्न करने वाले प्रमाद से सहित दिगम्बर मुनियों के प्रमŸविरत गुणस्थान होता है। PramattaVirata- The 6th stage of spiritual development where saints having perfect vows with passion
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्रानीक – Sahasraaneeka. One of the sons of Vidyadhar-Vinami. विनमि विद्याधर के अनेक पुत्रों में एक पुत्र ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रायोग्यानुपूर्वी- आनुपूर्वी; विग्रहगति में आत्म प्रदेषों का पूर्वषरीराकार बने रहना। Prayogyanupurvi- Existence of soul in transmigratory motion in the same shape as in the previous left body
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रातिहार्य- आषेक वृक्ष, तीन छत्र, रत्नमय सिंहासन, दिव्यध्वनि, दुन्दुभिनाद, पुश्पवृश्टि, प्रभामण्डल, चैंसठ चमरयुक्तता ये अरिहंत भगवान के 8 प्रातिहार्य कहलाते हैं। Pratiharya- Eight auspicious emblems of lord Arhant
दान Donation. स्व- पर के उपकार के लिए आहार, औषध, ज्ञान व अभय आदि दूसरों को प्रदान करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]