चरमोत्तम देह!
चरमोत्तम देह Ultimate body of beings who will get salvation in the same birth. अंतिम एवं उत्कृष्ट शरीर अर्थात् मोक्षगामी जीवों की देह ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चरमोत्तम देह Ultimate body of beings who will get salvation in the same birth. अंतिम एवं उत्कृष्ट शरीर अर्थात् मोक्षगामी जीवों की देह ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समाचार – Samaachaara. Asking well beings of one another, news, equanimous conduct of Jaina Saint. एक-दूसरे का कुशल क्षेम पूछना, देश-विदेश की गतिविधियों से अवगत होना। समताभाव अथवा सम्यक् अर्थात् अतिचार रहित मूलगुणांे का आचरण अथवा सभी दिगम्बर जैन साधुओ की नित्य-नैमित्तिक क्रियाओ को समाचार कहते है इसे समाचारी विधि कहा गया है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == समभाव : == जस्स ण विज्जदि रागो, दोसो मोहो व सव्वदव्वेसु। णासवदि सुहं असुहं, समसुहदुक्खस्स भिक्खुस्स।। —पंचास्तिकाय : १४२ जिस साधक का किसी भी द्रव्य के प्रति राग, द्वेष और मोह नहीं है, जो सुख—दु:ख में समभाव रखता है, उसे न पुण्य का आस्रव होता है और न…
चारित्रवाद Doctrine of actionism (reg. conduct). एक एकान्तवादी मत ‘क्रियावाद’ का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == हिंसा : == न हि तद्घातनिमित्तो, बन्धो सूक्ष्मोऽपि देशित: समये। मूच्र्छा परिग्रह: इति च, अध्यात्मप्रमादतो भणित:।। —समणसुत्त : ३९२ जैसे अध्यात्म (शास्त्र) में मूच्र्छा को ही परिग्रह कहा गया है, वैसे ही उसमें प्रमाद को हिंसा कहा गया है। एदे पंचपओगा किरियाओ होंति हिंसाओ। —भगवती आराधना : ८०७…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ लेश्या – Shubha Leshya. Auspicious mental colouration. शुभभावरूप, मंदकषायरूप पीत, पद्य, शुक्ल ये तीन वचन योग हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाषा समिति – Bhasha Samiti. Virtue of a saint; using polite language. ५ समिति में एक; हित-मित –प्रिय वचन बोलना, यह साधुओं का एक मूलगुण है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभचंद्र – Shubhachandra. Name of a great Acharya, the writer of Gyanamav Granth, The 8th Balbhadra of predestined Utsarpini Kal. एक महान आचार्य-राजा भर्तृहरि के भाई, ज्ञानार्णव ग्रंथ के रचियता (ई.सं. 1003-1068) ” भरतक्षेत्र के आगामी उत्सर्पिणी काल के 8वें बलभद्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ आस्रव – Shubha Aastrava. Flow of auspicious Karmas. पूण्यकर्म के आने योग्य मन, वचन, काय की शुभ प्रवृत्ति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नंदिप्रभ – Namdiprabha A protecting deity of north Nandishvardvip (island). उत्तर नन्दीश्वर द्वीप का एक रक्षक देव ”