प्राभृतप्राभृत!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृतप्राभृत- श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 13 वाँ भेद, यह ज्ञान अनुयोग समास ज्ञान में एक अक्षररुप श्रुतज्ञान की वृद्धि होने से होता है। PrabhrtaPrabhrta- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृतप्राभृत- श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 13 वाँ भेद, यह ज्ञान अनुयोग समास ज्ञान में एक अक्षररुप श्रुतज्ञान की वृद्धि होने से होता है। PrabhrtaPrabhrta- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)
ऊर्ध्वव्यतिक्रम Exceeding the limits set in the direction, namely upwards. दिग्व्रत का तीसरा अतिचार लोभवश ऊपर की सीमा का उल्लंघन करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणावाय पूर्व- 14 पूर्वो में से बारहवाँ पूर्व, जिसमें षरीर चिकित्सा आदि अश्टांग आयुर्वेद, भूतिकर्म, जागुलिक कर्म (विश विद्या) और प्राणायाम के भेद प्रभेदों का वर्णन होता है। Pranavayapurva-A (purva) part of scriptural knowledge (Shrutgyan)
गुरुदक्षिणा That which is dedicated to a spiritual preceptor. शिक्षा समाप्ति के बाद शिष्य के द्वारा गुरु आज्ञानुसार दी जाने वाली दक्षिणा ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथानुपूर्व–Yathanupurv. A synonym word of Shrutgyan (scriptural knowledge). श्रुतज्ञान का एक पर्यायवाची नाम”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राच्य- पूर्व दिषा। प्रत्येक षुभ कार्य में प्राची दिषा की प्रधानता होती है। Pracya- east direction (to have importance)
गतिहीन Static, Steady. गतिरीय; सिद्ध परमेष्ठी या धर्मं-अधर्म-आकाश-काल द्रव्य ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
झारी A pitcher having a long neck & a spout, to be kept near the idol of Lord Jinendra. जिनेन्द्र देव की प्रतिमाओं के समीप वि?मान रहने वाले अष्ट मंगल द्रव्यों में से एक, इस झारी से भगवाना का अभिषेक भी किया जाता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बहिरंग शुद्धि- शरीर और वचनों से दोा मुक्त होना। Bahiranga suddhi- External purity (reg. body & speech)
गणग्रहण क्रिया An act of consecration-departing of passionful deities and installing passionless deities. दीक्षान्वय क्रियाओं की चौथी क्रिया; नया दीक्षित जैनी अपने घर से रागी देवों को विदाकर वीतराग देव की पूजा व स्थापना करता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]