सद्भाव :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सद्भाव : == किं तेणावि घडिज्जइ जो न हु सब्भावरसनिसित्तो वि। पुरिसो य पुहइिंपगे व मिज्जिओ अप्पमप्पेइ। —गाहारयणकोष : ६५ जो सद्भाव के रस से अभिसिंचित नहीं है, उसके जन्म से क्या लाभ ? पुरुष तो पृथ्वी के िंपड जैसा होता है जो पानी से भीजकर अपने आपको…