ऊर्ध्वलोक!
ऊर्ध्वलोक Upper world, Celestial world. लोक के तीन भेदों में एक भेद जहाँ स्वर्गो की रचना है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ऊर्ध्वलोक Upper world, Celestial world. लोक के तीन भेदों में एक भेद जहाँ स्वर्गो की रचना है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हैमवत् क्षेत्र – Haimavat Ksetra Name of the 2nd great region in all 7 regions of Jambudvip (island). जम्बूद्वीप के 7 क्षेत्रों मे दूसरा क्षेत्र। यहाॅ जधन्य भोगभूमि है।
एक अनंत Unidirectional finite (like sea). एक दिशा में देखने पर उसका अंत नहीं पाया जाता इसलिये उसको एकानंत कहते हैं- जैसे अथाह समुद्र।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हुंडकसंस्थान नामकर्त प्रकृति – Humdakasamsthaana. Naamakarma Prakrti. Physique making karma causing formation of misshapened body. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर बेडौल होता है उसे हुंडक शरीर संस्थान नामकर्म कहते है।
उत्कृष्ट कृष्टि Extreme & superior Krishti (gradual destruction of passions). सबसे अधिक अनुभाग सहित अंतिम उत्कृष्ट कृष्टि है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिंसा यज्ञ – Himmsaa Yaggay violenceful sacrificial rite. पशु या मनुष्यों की जिसमे आहुति दी जाये ऐसा हिंसक यज्ञ। तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ के तीर्थ मे सगर राजा से द्वेष रखने वाला एक महाकाल नाम का एक असुर हुआ था, उस अद्वानी ने इस हिंसायज्ञ का उपदेष दिया था।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हानि – Haani. Loss, damage, Ham, Destruction, reduction. ह्नास, पतन, हीन (दो गुणहानि, डेढ़ गुणहानि, षट्गुणहानि)।
आराधना(ग्रन्थ) Name of a treatise, A book composed by Ganini Gyanmati Mataji in Sanskrit. भगवती आराधना का अमितगति(वि.1050-1073) कृत संस्कृत रूपान्तरण, साधुओं की चर्या से संबधित गणिनी ज्ञानमति माताजी द्वारा रचित 450 श्लोकबद्ध एक संस्कृत ग्रन्थ (ई.श.20)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]