प्रतिक्षण विनाशीभाव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिक्षण विनाशीभाव – Pratikshana Vinaasheebhaava. Perishing momentarily (reg. Paryay). पर्याय, जो प्रतिक्षण नष्ट होती रहती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिक्षण विनाशीभाव – Pratikshana Vinaasheebhaava. Perishing momentarily (reg. Paryay). पर्याय, जो प्रतिक्षण नष्ट होती रहती है “
दूरास्वादित्व ऋद्धि Super distantial attainment of taste. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को रसना इन्द्रिय के उत्कृष्ट विषय क्षेत्र से भी संख्यात योजन दूर स्थित खटटे, मीठे आदि अनेक प्रकार के रसों का स्वाद लेने की सामथ्र्य प्राप्त होती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुष्पसेन – Puspasena. Name of a Digambar Acharya, the preceptor of Vadeebh Singh, Name of a poet. एक दिगम्बर आचार्य (ई. ७२०-७८०) एवं छत्रचूड़ामणि के कर्ता वादीभ सिंह के गुरु, कवि; द्विसंधान, सप्तसंधान काव्य टीका के कर्ता “
दूर श्रवणत्व ऋद्धि A super distantial power of hearing. बुद्धि ऋद्धि का एक प्रकार जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को श्रोत इन्द्रिय के उत्कृष्ट विषय क्षेत्र से भी संख्यात योजन दूर स्थित ध्वनि या शब्दों को सुनने की सामथ्र्य प्राप्त होती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुष्पगंधी – Puspagamdhi. Name of the chief female divinity of peripatetic Indra Atikay. महोरग जाति के व्यंतरो के इन्द्र अतिकाय की वल्लभिका देवी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुरुषार्थसिध्दयुपाय – Purusarthasiddhayupaya. A book written by Acharya Amritchandra. आचार्य अमृतचन्द्र (ई. ९०५-९५५) द्वारा रचित एक श्रावकाचार एवं अहिंसा की विशेष व्याख्या करने वाला संस्कृत ग्रंथ, यह श्रावक एवं साधुओं द्वारा अवश्य पठनीय है “
दुःखरूप Irksome, Troublesome, Distressing. हिंसादि पाप दुःख के कारण होने से दुखरूप कहलाते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुरालेख – Puralekha. Epigraphy; an archive, the study of inscriptions. शिलालेख विघा “
दिव्याष्टगुण Eight virtues of salvated one. सिद्ध परमेष्ठी के 8 गुण अनंतज्ञान, अनंतदर्शन, अव्याबाधत्व, सम्यक्त्व, अवगाहनत्व, सूक्ष्मत्व, अगुरूलघुत्व , अनंतवीर्य ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रणय – Pranaya. Love, loving entearty. ब्राह्य पदार्थों में ममत्वरूप भाव का होना ” प्रेम, स्नेह, घनिष्ठता “