स्तव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्तव -Stava. Hymning or praising (of 24 Tirthankaras, Jaina-Lords).24 तीर्थकरो के गुणो का कीर्तन करना स्तव कहलाता है। इसे स्तवन या स्तुति भी कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्तव -Stava. Hymning or praising (of 24 Tirthankaras, Jaina-Lords).24 तीर्थकरो के गुणो का कीर्तन करना स्तव कहलाता है। इसे स्तवन या स्तुति भी कहते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृहतपल्य व्रत –VrhatapalyaVrata. A particular kind of vow to be observed with particular procedure. प्रत्येक माह मे ये कई व्रत आते हैं, यह एक वर्ष तक किया जाता है ” एक वर्ष मे इसके ७२ व्रत होते हैं ” इसमे एक – एक उपवास का पल्य – पल्य उपवास बराबर फल होता…
चालन A divine medicine. एक दिव्या औषधि ; इससे बंधे हुए कोटाकोटी स्थिति बंध वाले कर्मा चालिसिय कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समवायांग – Samavaayaanga. The 4th part in all 12 parts of Shrut (early canons). द्वादषंग श्रुत का चैथा अंगः इसमे द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की अपेक्षा समानता का कथन है अर्थात् जिसमे पदार्थों की समानता के आघार पर समवाय का विचार किया गया है वह समवायांग है। इसमें एक लाख 64 हजार पद है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावविशुध्दी – Bhavavisuddhi. Volitional purity. प्रत्याख्यान; राग द्वेष आदि अशुभ परिणाम का त्याग करना “
चलप्रदेश Some of the space points of soul . जीव के ८ मध्यप्रदेशों को छोड़कर बाक़ी के प्रदेश ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संचार – Sanchaara. Movement, Transmission. घूमना, एक अक्ष या भंग को अनेक भंगों में क्रम से पलटना “
चतुर्गति Four body forms or destinities; Hell, Animals and Plants, Human beings and Deities. चार गतियाँ ; नरक , तिर्यंच , मनुष्य व देवगति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ उपशम – Shubha Upashama. Right subsidence. प्रशस्त उपशम “