गुणौध!
गुणौध Merits, virtues, One of the 1008 names of Lord Jinendra. गुणसमूह, भगवान जिनेन्द्र क्ले १००८ नामों में से एक ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गुणौध Merits, virtues, One of the 1008 names of Lord Jinendra. गुणसमूह, भगवान जिनेन्द्र क्ले १००८ नामों में से एक ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीतराग धर्मध्यान –VitaragaDharmadhyana. Supreme stage of religious meditation (Dharmadyan) to the knowledge of supreme soul. धर्मध्यान की उत्क्रष्ट स्थिति – सातवें से दसवें गुणस्थान में होने वाली ध्यान अवस्था “
घुटुक The son of Bhim, the Pandav. पांडव भीम और हिडिम्बा का पुत्र. युद्ध में यह अश्र्वत्थामा के द्वारा मारा गया था ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सप्रदेशी द्रव्य – Sapradeshee Dravya. Matters (5 dravyas except kal (time)Dravya) occupying space points. कालद्रव्य को छोड़कर शेष 5 द्र्रव्य सप्रदेषी है। कालद्रव्य अप्रदेषी है, क्योकि वह प्रदेषो के बंध या समूह से रहित है। अर्थात् कालद्रव्य के कालाणु भिन्न-भिन्न ही रहते है।
द्विज्ञानसिद्ध The soul who gets salvation by two types of super knowledges (in accordance with Bhutpragyapan Naya). भूतप्रज्ञापन नय की अपेक्षा दो ज्ञान से सिद्ध होने वाले जीव।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सप्त पदार्थ – Sapta Padaartha. See- Sapta Tattva. सप्त तत्त्व ही सात पदार्थ कहलाते है। देखे- सप्त तत्त्व।
द्वादशंग Twelve parts of scriptural knowledge. श्रुत के 12 अंग ; द्रव्यश्रुत रूप की रचना गणधर करते हैं इसे ही जिनवाणी कहते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्धात्माभिमुख परिणाम – Shuddhaatmaabhimukha Parinaama. Results of attention and devotion towards pure soul. शुद्ध आत्मा की ओर उन्मुख परिणाम या स्वानुभवरूप भाव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सन्निपातिक भाव – Sannipaatika Bhaava. Assembling, collection, combining (reg. temperaments). मिलना, सम्मिश्रण, विविध संचय। एक ही गुणस्थान या जीवसमास मे जो बहुत से भाव आकर एकत्रित होते है, उन भावों की सन्निपातिक संज्ञा है।