शय्या!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शय्या – Shyyaa. Suitable resting place of saints. भक्तप्रत्याख्यान सल्लेखना के 40 अधिकारों में 25 वां अधिकार, आराधक योग्य वसतिका “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शय्या – Shyyaa. Suitable resting place of saints. भक्तप्रत्याख्यान सल्लेखना के 40 अधिकारों में 25 वां अधिकार, आराधक योग्य वसतिका “
उद्भाव Origination, Production, Appearance. उत्पत्ति सन्तति उत्पादन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावाभिनन्दी – Bhavabhinadi. The welcomer of the worldly existence. सांसारिक अस्तित्व का अभिनन्दन करने वाला “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == साहसी : == जाव य ण देन्ति हिययं पुरिसा कज्जाइं ताव विहणंति। अह दिण्णं तिय हिययं गुरुं पि कज्जं परिसमत्तं।। —कुवलयमाला जब तक साहसी पुरुष कार्यों की तरफ अपना ध्यान नहीं देते, तभी तक कार्य पूरे नहीं होते हैं। किन्तु उनके द्वारा कार्यों के प्रति हृदय लगाने से…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == गुणी : == लच्छीए विणा रयणायरस्स गम्भीरिमा तहज्जेव। सा लच्छी तस्स विणा कस्स न गेहे परिब्भई।। —गाहारयणकोष : ४५ लक्ष्मी के बिना भी रत्नाकर की गंभीरता तो वैसी ही बनी हुई है, किन्तु सागर को छोड़कर चली गई लक्ष्मी को कहाँ—कहाँ नहीं भटकना पड़ता ? ठाणेसु गुणा पथड़ा ठाणाणि,…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव (सचित्त , अचित्त , मिश्र ) – Bhava(Sachitta, Achitta, Mishra). Reflections. जीव द्रव्य सचित भाव है , पुदगल आदि ५ द्रव्य अचित भाव हैं एंव पुदगल और जीव द्रव्यों का संयोग मिश्र भाव है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == गुप्ति : == संरम्भे समारम्भे, आरम्भे च तथैव च। वच: प्रवर्तमानं तु, निवर्तयेद् यतं यति:।। —समणसुत्त : ४१३ यतना—सम्पन्न यति संरम्भ, समारम्भ व आरम्भ में प्रवत्र्तमान वचन को रोके—उसका गोपन करे। क्षेत्रस्य वृत्तिर्नगरस्य, खातिकाऽथवा भवति प्राकारा:। तथा पापस्य निरोध:, ता: गुप्तय: साधो:।। —समणसुत्त : ४१५ जैसे खेत की रक्षा…