त्रिकूट!
त्रिकूट Infinite body forms in past, present and future times. भरत क्षेत्र में एक पर्वत, विद्याधरों की एक नगरी । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिकूट Infinite body forms in past, present and future times. भरत क्षेत्र में एक पर्वत, विद्याधरों की एक नगरी । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विमानपंक्ति व्रत – Vimanapamkti Vrata. A particular vow (fasting) pertaining to the tem-ples in the 63 patal (layers) of heavens. स्वर्गों में कुल ६३ पटल है ” प्रत्येक पटल में एक-एक इंद्रक और उसके चारों दिशाओं मे अनेक श्रेणीबध्द विमान है ” प्रत्येक विमान में जिन चैत्यालय है ” उनके दर्शन की…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यायरत्नाकमाला – Nyaayaratnamaalaa. Name of a book written by Parthsarthi Mishra. मीमांसा दर्शन साहित्य प्रवर्तक पार्थसारथिमिश्र द्वारा रचित एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाना गुणहानी – Nana Gunahani Various geomaetric regressions गुणहानियों के समूह को नानागुणहानी कहते है ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == साधना : == तस्य न कल्पते भक्त—प्रतिज्ञा, अनुपस्थिते भयं पुरत:। स मरणं प्रेक्षमाणं:, भवति हि श्रामण्यनिर्विण्ण:।। —समणसुत्त : ५७३ (किन्तु) जिसके सामने (अपने संयम, तप आदि साधना का) कोई भय या किसी भी तरह की क्षति की आशंका नहीं है, उसके लिए भोजन का परित्याग करना उचित नहीं…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्गित संवर्गित – Vargita Sanvargita. Raising a number to its own power. विरलन –देय से प्राप्त संख्याओं को परस्पर गुणा कर देने से उस संख्या का वर्गित संवर्गित प्राप्त होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भरतेश्वराभ्युदय – Bharatesvarabhyudaya. A book written by Pandit Ashadhara. पं. आशाधर जी (ई. ११७३-१२४३) कृत एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नागसेन – Nagasena Name of the saint possessing knowledge of 11 Angas nad 10 Purvas, a writer of ‘Tattvanushaan. भद्रबाहु प्रथम के पश्चात् पाँचवे 11 अंग व 10 पूर्व धारी मुनि (वी.नि. 229-247 )” इनका अपरनाम नाग है ”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूपाल चतुर्विशतिका – Bhupala chaturvishtika. Name of a treatise written by pandit Ashadhar. पं. आशाधर (ई. ११७३-१२४३) कृत एक ग्रंथ का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वरांग चरित्र – Varaanga Charitra.: Name of the books written by Acharya Jatasinhnandi & by Bhattarak Varddhaman. आचार्य जटासिंहनंदी कृत एक काव्य , वर्द्धमान भट्टारक कृत संस्कृत ग्रन्थ “