वैक्रियिक द्विक!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक द्विक –VaikriyikaDvik. A type of dyad pertaining to the transformable body (of deities & hellish beings). वैक्रियिक शरीर, वैक्रियिक अंगोपांग “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक द्विक –VaikriyikaDvik. A type of dyad pertaining to the transformable body (of deities & hellish beings). वैक्रियिक शरीर, वैक्रियिक अंगोपांग “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पात्र अपात्र:Worthy & non-worthy donees.सम्यक्त्व, शील और व्रत से सहित जीव पात्र एवं इनसे रहित जीव अपात्र कहलाते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पत्र समूह (जीर्ण) :Heap of leaves, The 16th dream of Bharat Chakravarti. भरत चक्रवर्ती का 16वां स्वप्न था जीर्ण पत्र समूह जिसका फल ’महाऔषधियों का रस नष्ट होना बताया गया था । यह फल वर्तमान में प्रत्यक्ष रूप मंे देखा जा रहा है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यक्षेश्वर–Yakshesvar. Name of the ruling deity of Lord Abhinandannath. अभिनंदंनाथ भगवन के शासन देवता का नाम”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैभाविक क्रिया –VaibhavikaKriya. Passionate activities contrary to the real nature of the soul. आत्मा के मूल स्वभव को छोडकर रागद्वेष आदि परिणामो से परिणत होना वैभाविक क्रिया हैं “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पक्ष: Wing, Side, Aspect, Side of an argument. जो साध्य से युक्त होकर हेतु आदि के क्षरा व्यक्त किया जाये उसे पक्ष कहते है। अथवा अनुमान के प्रयोग में जहां साध्य के रहने का शक होता है। ’जैसे इस कोठे में धूम है’ इस दृष्टान्त में कोठा पक्ष है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेष विधि – Vishesha Vidhi. Particular method of explaining something. अर्थ समझने या समझाने की दो विधियों में एक विधि; प्रसिध्द परम्परा “