तिर्यक्!
तिर्यक् Oblique or Tilt, Subhuman beings. तिरछा , टेढा , आडा, तिर्यंच गति के जीव। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तिर्यक् Oblique or Tilt, Subhuman beings. तिरछा , टेढा , आडा, तिर्यंच गति के जीव। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति (ध्रुव – अध्रुव ) – Prakrti (Dhruva –Adhruva). Karmic nature with continuous & non-continu-ous binding. ध्रुव – अध्रुव प्रकृति; बंध व्युच्छित्ति पर्यत जिनका बंध होता रहे वह ध्रुव बंधी तथा जिनका बंध होकर रुक जाता है वह अध्रुव बंधी प्रकृतियां हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वच्छाहार – Svacchaahaara. Pure food.शुद्व सात्त्विक आहार।
तिर्यंचगति One of the 4 body forms or destinities (Gatis) i.e. Gati of animals, the beings other than human, celestial & infernal beings. 4 गतियों में एक गति, मनुष्य, देव और नारकी जीवों करो छोड़कर शेष एकेन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय जीवों की गति , जो मायाचारी, आर्त्तध्यान आदि से प्राप्त होती है।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
जयपुरी A city in the south of Vijayardh mountain. विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्याद्वादोपनिषद् – Syaadvaadopanisad. Name of a Book written by Acharya Somsen.आचार्य सोमसेन (ई0 943-968) कृत स्याद्वाद न्याय का प्ररुपक संस्कृत भाषाबद्व ग्रंथ।
जनादर्शन A Marathi poet and writer of ‘Shrenik Charit’, An epithet of Vishnu. मराठी कवि , श्रेणिक चरित के रचयिता (ई. १७६८) , विष्णु को भी जनादर्शन कहते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यादवक्तव्य – Syaadavaktavya. The 4th bhang of saptbhangi-exposition of the nature of the substance in the aspect of indescribability. सप्तभंगी का चैथा भंग, द्रव्य स्वद्रव्य क्षेत्र काल भाव से और परद्रव्य क्षेत्र काल भाव से युगफद् कथन न किया जाने से कथंचित् अवक्तव्य है।
तादात्म्य संबंध Complimentary relationship. जो संबन्ध कभी न छूटे, जैसेअग्नि और उष्णता । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]