उपोद्धात!
उपोद्धात See – Upakrama . देखें- उपक्रम।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लौकिक शुची –Laukika Shuchi.: Eight particular means of worldly purities. लोक व्यवहार शुद्धि –काल ,अग्रि,भस्म ,मृत्तिका ,गोबर ,पानी ,ज्ञान और निर्विचिकित्सा-ग्लानिरहितपना ये 8 प्रकार की वस्तुओं से व्यवहार में शुद्धि की जाती है “जैसे मिट्टी से हाथ धोना ,गोबर से जमीन लीप कर शुद्ध करना आदि “
दूरास्वादित्व ऋद्धि Super distantial attainment of taste. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को रसना इन्द्रिय के उत्कृष्ट विषय क्षेत्र से भी संख्यात योजन दूर स्थित खटटे, मीठे आदि अनेक प्रकार के रसों का स्वाद लेने की सामथ्र्य प्राप्त होती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दूर श्रवणत्व ऋद्धि A super distantial power of hearing. बुद्धि ऋद्धि का एक प्रकार जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को श्रोत इन्द्रिय के उत्कृष्ट विषय क्षेत्र से भी संख्यात योजन दूर स्थित ध्वनि या शब्दों को सुनने की सामथ्र्य प्राप्त होती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शांतिनाथ पुराण – Shantinaatha Puraana. Many narrative books of this title written by 1)Poet Asag 2) Acharya Shreedhar 3) sakalkirti 4) Shubhkirti. कवि असग द्वारा (ई. 988) रचित हिंदी महाकाव्य, आचार्य श्रीधर (ई. 1132) कृत अपभ्रंश काव्य, सकलकीर्ति (ई. 1406-1442) कृत 3475 संस्कृत पद्य प्रमाण ग्रंथ, शुभकीर्ति (ई.श. 15 पूर्वार्ध) कृत अपभ्रंश काव्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय अहिंसा – Nishchaya Ahinsa. Absolute non-voilence. मुनि अवस्था में प्रमाद व राग आदि का उत्पन्न न होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शल्य रहित – Shalya Rahita. One without any worries and attachment. व्रती; जो शल्य रहित होता है “
दुःखरूप Irksome, Troublesome, Distressing. हिंसादि पाप दुःख के कारण होने से दुखरूप कहलाते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मदेव – Brahmadeva. Name of an Acharya, the writer of Dravya Samgrah Tika, Parmatma prakash Tika etc. द्रव्यसंग्रह एंव परमात्म प्रकाश टीका आदि के कर्ता एक आचार्य “
दिव्याष्टगुण Eight virtues of salvated one. सिद्ध परमेष्ठी के 8 गुण अनंतज्ञान, अनंतदर्शन, अव्याबाधत्व, सम्यक्त्व, अवगाहनत्व, सूक्ष्मत्व, अगुरूलघुत्व , अनंतवीर्य ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]