पुण्यकर्म!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यकर्म – Punyakarma. Auspicious consequences of Karmas. वह कर्म जिससे इष्ट पदार्थों की प्राप्ति होती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यकर्म – Punyakarma. Auspicious consequences of Karmas. वह कर्म जिससे इष्ट पदार्थों की प्राप्ति होती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मचर्य तप ऋध्दि – Brahmacarya Tapa Rddhi. A type of supernatural power (pertaining to celi- bacy). एक ऋध्दि; इस ऋध्दिधारी मुनिध्वरों के प्रभाव से ईति, भीती, युद्ध , दुर्भिक्षादि शांत हो जाते हैं”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचेन्द्रिय जाति नाम कर्म – Panchendriya Jaati Naama karma. A karmic nature causing five sensed beings. जिस नाम कर्म के उदय जीव पंचेन्द्रिय होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिगज श्रुतज्ञान – अनक्षरात्मक श्रुतज्ञान, चिन्ह से उत्पन्न होने वाला श्रुतज्ञान। Limgaja Srutajnana-A kind of symbolic knowledge pertaining to Shrutgyan (scriptural knowledge), Unsyllabic knowledge
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेघमालिनी–Meghamalini. A ruling female divinity of Himkut (a summit) of Nandan forest. नन्दनवन के हिमकूट की स्वामिनी दिक्कुमारी देवी”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाघव – लघुता, हल्कापन षरीर का भारीपन नश्ट होना। तपष्चरण से षरीर में ये गुण प्राप्त होता है जिसे लघिमा ऋद्धि कहते है। Laghava-Lightness, minuteness
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाणिज्य कर्मार्य – Vaanijya Karmaarya.: Those having livelihood by trade of grains, gold etc. सावद्य कर्मार्य के 6 भेदों में एक 1 भेद ;जो अन्न ,वस्त्र ,सोना ,चांदी आदि के द्वारा आजीविका करते हैं “
एकत्वप्रत्यभिज्ञान Unitary recognition. स्मृति और प्रत्यक्ष के विशयभूत पदार्थ में एकता दिखाते हुए जोड़रूप ज्ञान ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसारभीरु – Sansaarabheeru. One aware & frightened of worldly troubles. सम्यग्दृष्टि जीव जो संसार के दुःखों से भयभीत होकर वैराग्य को स्वीकार करते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचा उपकरण विवेक – Vaachaa Upakarana Vivek. Discrimination related to right speech. विवेक का एक भेद ,मैने इन ज्ञानोपकरणादि का त्याग किया ऐसा वचन बोलना “