द्रव्य संसार!
द्रव्य संसार Physical world. जिसमें जीव पुद्गल परमाणुओं को अनंत बार शरीर और कर्मरूप से ग्रहण तथा विसर्जन करता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्रव्य संसार Physical world. जिसमें जीव पुद्गल परमाणुओं को अनंत बार शरीर और कर्मरूप से ग्रहण तथा विसर्जन करता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूची – Suchee. Width. Diameter or dadius pertaining to island or ocean. व्यास या बाण, किसी द्वीप या समुद्र की परिधि (गोलाई) के एक तट से दूसरे तट की चैडाई को सूची कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यून – Nyoona. Deficient, Lacking, Wanting. कम किया हुआ, घटाया या छोटा किया हुआ “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाववती शक्ति – Bhavavati Sakti. Volitional strength of something. द्रव्य की एक शक्ति; प्रदेशत्व गुणों के अतिरिक्त शेष गुणों के परिणाम की भाव रूप शक्ति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म निगोद वर्गणा – Sukshma Nigoda Varganaa. A type of aggregate of Karmic molecules. 23 प्रकार की वर्गणाओं का एक भेद ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवविपाकी प्रक्रति – Bhavavipaki Prakrti. Maturity of Karmic nature causing different kinds of life courses (body forms). जिन कर्मो का फल मनुष्य आदि भव के रूप में होता है वे भव विपाकी प्रक्रति कहलाती हैं ” चारों आयु भव विपाकी हैं “
द्रव्य लिंग Physical sign or appearance (related to a saint). बाहरी भेष, साधु का बाहरी चिन्ह, परिग्रह रहित व पिच्छी कमण्डलु सहित होना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुसीमा (नगरी) – Suseemaa (Nagari) Name of the main city of Vatsa country situated in the eatern Videh region. पूर्व विदेहस्थ वत्सदेश की मुख्य नगरी ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पासणाहचरिउ – Pasapurana. A book written by Bhattarak Padmakirti. भट्टारक पद्मकीर्ति (ई. सन् १०७७) कृत एक ग्रंथ “
द्रव्य पाप Sinful nature of Karmas (substantive sin). कर्म की पाप रूप 100 प्रकृतियां ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]