देवमरण!
देवमरण A part of first forest Bhadrashal of Sumeru mountain. सुमेरू पर्वत के प्रथम वन भद्रशाल का एक भाग। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
देवमरण A part of first forest Bhadrashal of Sumeru mountain. सुमेरू पर्वत के प्रथम वन भद्रशाल का एक भाग। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सिद्ध : == अष्टविधकर्मविकला:, निष्ठितकार्या: प्रनष्ट—संसारा:। दृष्टसकलार्थसारा:, सिद्धा सिद्धिं मम दिशन्तु।। —समणसुत्त : ८ अष्ट कर्मों से रहित, कृतकृत्य, जन्म—मृत्यु के चक्र से मुक्त तथा सकल तत्त्वार्थ के द्रष्टा सिद्ध मुझे सिद्धि प्रदान करें। सिद्धात्मा निर्विकल्पोऽप्रतिहतमहिमा शश्वदानन्दधाम। —ज्ञानार्णव : ३९-७९ सिद्ध परमात्मा समस्त विकल्पों से रहित, अबाधित महिमा…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्ण सुहागिनी – Svarna Suhaaginii. A special fortunate married woman, whose parents, in law, husband & son all are alive. She gets the golden chance to prepare Kalkachurna (liquefied powdered compound of sandal etc.) for Tilakdaan in Panchalyanak Pratishtha. एक विषेष सौभाग्यवती महिला, जिसके माता-पिता, सास ससुर, पति-पुत्र जीवित हो। इनके द्वारा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शैलराज – Shailaraaj. Another name of Sumeru mountain. सुमेरु पर्वत का अपरनाम”
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वरुपासिद्व हेत्वाभस – Svaruupasiddha Hetvaabhaasa. A type of fallacy (eg. Considering existence of words only due to their visionary effect). शब्द परिणामी है, क्योकि यह आॅख से देखा जात है (यह सही हेतु न होकर गलत हेतु है)। यह अविद्यमान सत्ता वाला अर्थात् स्वरुपासिद्व हेत्वाभास हैं
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संदेह – Sandeha. Doubt, Suspicion. शंका ” सम्यग्दृष्टि जीव स्वभावतः निर्भय होने से समस्त शंकाओं से रहित होता है “
एषणाशुद्धि Purification of food from 14 specified faults. आहार शुद्धि- 14 मल दोषों से रहित सावधानीपूर्वक संयमी जन को आहार दान देना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भद्रावलि – Bhadravali. The 76th chief disciple of Lord Rishabhadev. तीर्थकर वृषभदेव के ७६ वें गणधर का नाम “
एंवभूत Specific, Such as intrinsically genuine, A stand-point of exact understanding or perception. एक नय, जिस शब्द का जिस क्रियारूप अर्थ हो उसी क्रियारूप परिणमित पदार्थ को ग्रहण करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == समर्थ : == महिऊण महाजलिंह महुमहणो तत्थ सुयइ वीसत्थो। एयं नीइविरुद्धं छज्जइ सव्वं समत्थाणं।। —गाहारयणकोष : १८२ महासमुद्र का मंथन करके विष्णु वहीं सुखपूर्वक सोते हैं। ऐसे नीतिविरुद्ध कार्य (किसी का घर उजाड़कर वहीं शरण लेना) तो समर्थ को ही शोभा देते हैं।