देवाश्रय!
देवाश्रय Temple. देवालय – मंदिर।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दर्शपूर्वित्व ऋद्धि A type of supernatural power. बुद्धि ऋद्धि का एक भेद। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीपाल आख्यान – Shreepaala Aakhyaana. Name of a treatise written by Vadichandra. वादिचन्द्र कृत संस्कृत भाषाबद्ध एक रचना ” समय- 1580-1607 “
गंधकूट A summit situated at shikhari mountain. शिखरी पर्वत पर स्थित एक कूट। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संमोह (देव) – Sammoha (Deva). A type of peripatetic deities. पिशाच जाति के व्यंतर देवों के 14 भेदों में एक भेद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्राविका – Shraavikaa. A female lay follower of Jaina instructions. जो गृहस्थ महिला श्रद्धावान, विवेकवान व सदाचारी हो एवं धर्म का अनुसरण करती हो “
त्रसत्व Mobileness in the beings. जीवों के चलन की क्रिया , त्रस पर्यायपना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == वीतराग : == यत्सुखं वीतरागस्य मुने: प्रशमपूर्वकम्। न तस्यानन्तभागोऽपि प्राप्यते त्रिदशेश्वरै:।। —ज्ञानार्णव : १९-३ वीतराग मुनि को प्रशम भाव सहित जो सुख प्राप्त होता है, उसका अनन्तवां भाग भी देवेन्द्रों को प्राप्त नहीं होता (अर्थात् इन्द्र के प्राप्त होने वाले सुख से अनंतगुना—अक्षय सुख वीतराग मुनि को प्राप्त…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रद्धान प्रायश्चित – Shraddhaana Praayashchita. Repentance over false belief with acceptance of right belief. मिथ्यात्व को प्राप्त होकर स्थित हुए जीव के महाव्रतों को स्वीकार कर आप्त, आगम और पदार्थों का श्रद्धान करने पर श्रद्धान नाम का प्रायश्चित होता है “
देवचतुष्क Quartet of particular Karmic nature (reg. celestial beings). देवगति, देवगत्यानुपूर्वी , वैक्रियिक शरीर व वैक्रियिक अंगोपांग इन 4 कर्मप्रकृतियों का समूह। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]