आयोग!
अयोग A time unit. आत्मा के प्रदेशों का सकंप न होना-कर्म-नोकर्म आकर्षण के लिए जीव कीय ओग्य शक्ति का न चलना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
अयोग A time unit. आत्मा के प्रदेशों का सकंप न होना-कर्म-नोकर्म आकर्षण के लिए जीव कीय ओग्य शक्ति का न चलना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दिगंतर गति Unnatural movement of soul. जीव की विभाव गति अर्थात् कर्म वश नीचे, तिरछे, और ऊपर गति करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावि भूत उपचार – Bhavi Bhuta Upachar. Wrong implication of something in past time which is going to occure in future. भविष्य में होने वाले कार्य का भूत में आरोप करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बादर- स्थूल, स्कन्ध, एक प्रकार का नाम कर्म। Badara- Gross, A type of Karma
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृद्धि – हानि – Vrddhi – Haani Increasing & decreasing (pertaining to clairvoyance and 6 particular virtues etc.) षटगुण हानि वृद्धि; अविभाग प्रतिच्छेदों मे वृद्धी हानि का नाम ही षटगुण हानि व्रद्धि हैं, क्षयोपशम अवधिज्ञान के भेद, वर्धमान और हियमान” जो विशुद्ध परिणामों से बढता है वह वर्धमान एवं जो संक्लेश परीणामो…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रश्नोत्तर श्रावकाचार- आचार्य सकलकीर्ति (र्इ. 1406- 1442) द्वारा रचित एक ग्रंथ। Prasnottara Sravakcakara- A book written by acharya Sakalkirti
[[श्रेणी:शब्दकोष]] फालि द्रव्य- समुदाय रुप कर्म निशेकों का खण्ड। Phali Dravya- A part of karmic aggregates
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्लक्षणकूला – सिखरी पर्वत के कूट तथा देवी का नाम Plaksanakula- Name of a summit and female deity of shikhari mountain
उदीरणा मरण See – Kadalighåta (Mara¿a). देखें- कदलीघात (मरण)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संक्रांति – Sankraanti. Transition, Change. संचार, गमन, परिवर्तन ” इसके अर्थ, व्यंजन, योग संक्रांति तीन भेद हैं ” यह परिवर्तन प्रथम शुक्लध्यान पृथत्तववितर्क वीचार में होता है ” प्रत्येक मास में सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में संचार करना भी संक्रांति कहलाता है “