त्रिवर्ण!
त्रिवर्ण Three caste divisions (Kshatriya, Vaishya and Shudra). क्षत्रिय , वैश्य और शुद्र ये तीन वर्ण। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिवर्ण Three caste divisions (Kshatriya, Vaishya and Shudra). क्षत्रिय , वैश्य और शुद्र ये तीन वर्ण। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोगकर्म- कर्म का एक भेद; यह मन, वचन, काय प्रयोग कर्म के भेद से 3 प्रकार का होता है। Prayogakarma –A type of Karma
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमेय- द्रव्य पर्याय रुप वस्तु ही प्रमेय है। प्रमाण (ज्ञान) से जो जाना जाये। Prameya- Object to be known completely
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संरक्षणानंद – Sanraksanaananda. To worry for prosperity. रौद्रध्यान का एक भेद; धन के उपार्जन एवं संरक्षण आदि का चिंतन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमादचरित- अनर्भदण्ड; बिना प्रयोजन पृथिवी, जल, अग्नि के आरम्भ करना, वनस्पति छेदना, पर्यटन करना और दूसरों को कराना। Pramadacarita- Causing useless activities (purposeless)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण राशि- गणित में विवक्षित प्रमाण का जो फल या उपकार प्राप्त होवें। PramanaRasi- Resulting or final quantity
दशकरण चूलिका A part or lesson of ‘Gommatsar-Karmakanda’ treatise. गोम्मटसार – कर्मकांड ग्रंथ का एक अध्याय , इसमें 10 कारणों का स्वरूप है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्युपेक्षण- निरीक्षण करना, जांचना आदि। pratyupeksana – survey, inspection, testing
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संमूर्च्छिम – Sammoorchchhima. Beings caused by spontaneous birth (not by womb or generation). गर्भज और उपपादज जन्म वालों के अतिरिक्त शेष जीव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभासदेव- घ्डकी खण्ड का रक्षक व्यन्तर देव, नाभिगिरी के एक देव का नाम, विश्णु नदी के द्वार के निकटवर्ती समुद्र में स्थित देव। Prabhasadeva- Name of deities (related to DhatkiKhand (region), Nabhigiri (mountain) &Sindhuriver